लखनऊ क्राइम न्यूज़: सस्ती दवा की कालाबाजारी के आरोपियों पर केजीएमयू प्रशासन ने शिकंजा कस दिया है. पांच आरोपियों को नौकरी से सेवामुक्त कर अनुबंध से कर्मचारी मुहैया कराने वाली एजेंसी से आरोपियों पर कानूनी कार्रवाई की सिफारिश की गई है. केजीएमयू प्रशासन अपने स्तर से कार्रवाई से कतरा रहा है. मानव श्रम मुहैया कराने वाली निजी एजेंसी की कोई जिम्मेदारी तय नहीं की गई है.
बीते सप्ताह एसटीएफ ने केजीएमयू की दवा बाजार में बेचने के आरोपियों को गिरफ्तार किया था. इसमें केजीएमयू एचआरएफ स्टोर में संविदा पर तैनात रजनीश कुमार भी शामिल था. एसटीएफ के हत्थे चढ़े घपलेबाज रजनीश ने चार अन्य कर्मचारियों के नामों का खुलासा किया था. जांच कमेटी की बैठक हुई. तथ्यों के आधार पर कमेटी ने रजनीश कुमार, ट्रॉमा सेंटर एचआरएफ के महेश प्रताप सिंह, प्लास्टिक सर्जरी विभाग के एचआरएफ अनूप मिश्रा समेत दो अन्य कर्मचारियों की संविदा खत्म कर दी गई है. इन कर्मचारियों को अभी तक काम से रोका गया था. बयान दर्ज करने और दूसरे जांच में तथ्यों के आधार पर सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं. कमेटी की रिपोर्ट कुलपति को सौंपी जाएगी. अधिकारियों का कहना है कि ये सभी कर्मचारी आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से तैनात हैं. एजेंसी को जांच के लिए कहा गया है. जांच में पुष्टि पर केस कराने को कहा गया है.