Kanpur: विभिन्न वार्डों में बेसकीमती भूमियों पर खुलेआम हो रहे कब्जे

Update: 2024-11-15 04:49 GMT

कानपूर: नगरीय क्षेत्र के विभिन्न वार्डों में पड़ी बेसकीमती भूमियों पर खुलेआम कब्जे हो रहे है और जिम्मेदार अफसर हाथ पर हाथ रखकर बैठे हैं. नगर निगम के 60 वार्डों में पड़ी भूमियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी का दम्भ भर रहे निगम अफसरों के पास भूमि सम्बंधी दस्तावेज तक नहीं है. हालात है कि पैमाइश के समय नक्शा से आराजी गायब हो जाती है तो बिना तहसील स्टॉफ के नगर निगम अफसर जांच नहीं कर पाते. हैरत तो यह है कि हर बार भूमि की पैमाइश में अलग-अलग रिपोर्ट आने से अधिकांश मामलों में कब्जाधारियों को इसका लाभ मिल रहा है. इतना ही नहीं पार्षदों द्वारा कई बार शिकायत के बाद जब नगर निगम अफसर कार्रवाई नहीं कर पा रहे, तो ऐसे में जनता की शिकायतों पर अफसरों से कितने संजीदा होंगें?

नगरीय क्षेत्र के तमाम वार्डों में नजूल की भूमियों की सुरक्षा भगवान भरोसे चल रही है. नगर निगम के सम्पत्ति विभाग में अफसरों की लम्बी फौज के बाद खुलेआम भूमियों पर कब्जा हो रहा है, लेकिन लेखपाल, कानून गो, चेनमैन से लेकर रिडायर्ड एडीएम आदि किसी को भी आज तक धरातल पर छानबीन कर इसकी जानकारी अफसरों को नहीं दी होगी, कि फलां क्षेत्र में भूमि पर कब्जा चल रहा है और वह मौके हालत यह है कि बोर्ड बैठक में पार्षदों ने इस मुद्दे पर अफसरों की जमकर खिंचाई की थी, बावजूद इसके अफसरों की कार्यशैली में कोई फर्क नहीं आया.

केस 01

वार्ड नम्बर 13 में आराजी संख्या 816 की पैमाइश के लिए कानून गो से लेकर लेखपाल व चेनमैन तब पहुंचे जब एक साल तक पार्षद लगातार पैमाइश की फरियाद लगाता रहा. लेकिन निगम के अफसरों ने कमाल तब किया, जब पैमाइश के लिए मौके पर नक्शा निकाला. पार्षद की आपत्ति के बाद नगर निगम अफसरों ने तहसील तक दौड़ लगाई, लेकिन आराजी 816 के साक्ष्य नहीं मिले.

केस 02

नगर निगम के वार्ड नम्बर 31 की पार्षद रितिका गौरव तिवारी का है. इन्होंने एक दबंग के द्वारा भूमि पर कब्जा कर लहरगिर्द में मकान के निर्माणाधीन कराने की शिकायत की थी. पहले तो अफसरों ने ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब दबंग ने मकान का निर्माण तेजी से शुरू कराया तो अफसरों ने नोटिस जारी कर दिया. अफसरों की लाचारी के चलते नोटिस पर नोटिस जारी होते रहे.

केस 03

सिगर्रा क्षेत्र का खालिद ने कमिश्नर, डीएम व नगर आयुक्त से कई बार आराजी संख्या 4058 की बेशकीमती भूमि पर अवैध कब्जा कर बेचने की शिकायत की थी. इतना ही जनसुनवाई पोर्टल में शिकायत के बाद भी खालिद की सुनवाई नहीं हुई. झोकनबाग से मिनर्वा की बेसकीमती भूमि को लेकर नगर निगम के पुराने अफसर गुमराह करते रहे कि उक्त भूमि छावनी परिषद की है.

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