Kanpur: दिव्यांग को दौड़ाने व रिश्वत लेने में केडीए का बाबू सस्पेंड
जांच के बाद उपाध्यक्ष ने बाबू सत्यम पांडेय को निलंबित कर दिया.
कानपूर: केडीए के एक बाबू ने 55 वर्षीय दिव्यांग से पांच माह के भीतर 40 चक्कर लगवाए फिर भी रजिस्ट्री नहीं की. महज 30 वर्ग मीटर जैसे छोटे ईडब्ल्यूएस प्लॉट की रजिस्ट्री कराने के लिए 15 हजार रुपये मांगे, इसके बाद भी भ्रष्टाचार की भूख नहीं मिटी. दौड़ाने का क्रम जारी रखा. आखिरकार दिव्यांग ने जनता दर्शन में केडीए उपाध्यक्ष के सामने न सिर्फ सारी कहानी बताई बल्कि अपनी बेबसी और दर्द को भी बयां किया. जांच के बाद उपाध्यक्ष ने बाबू सत्यम पांडेय को निलंबित कर दिया.
देवेंद्र नरवल के रहने वाले हैं. वर्ष 2004 में स्वर्ण जयंती विहार पार्ट टू में प्लॉट नंबर 40 उन्हें आवंटित हुआ था. उन्होंने शहर में अपना घर होने का सपना संजोया था. वह यह भी चाहते थे कि उनके जवान बेटे का घर बस जाए. इसी चाहत में उन्होंने एक-एक पैसे जोड़कर केडीए की सारी किस्तें जमा कीं. पांच माह पहले रजिस्ट्री के लिए आवेदन किया. इसके बाद शुरू हुआ उन्हें लूटे जाने का सिलसिला. बाबू सत्यम पांडेय ने कभी आईडी तो कभी आधार तो कभी फोटो के लाने के नाम पर दौड़ाना शुरू किया. रसीदें होने के बाद भी मांगता रहा. देवेंद्र के मुताबिक बाबू ने 15 हजार रुपये रिश्वत देने पर ही रजिस्ट्री कराने की बात कही गई थी. रुपये देने के बाद भी रजिस्ट्री नहीं की गई.
अब कहां से लाऊं पैसे’
बाबू हर बार कोई न कोई कमी बता रहा था. वह भी तब जबकि रजिस्ट्री के लिए देवेंद्र कुमार ने स्टाम्प दे दिया था. रजिस्ट्री के लिए स्टाम्प टाइप भी हो गया था. मगर बाबू और रकम मांगने लगा. उन्होंने उससे कहा, ‘अब कहां से ले लाऊं, किसी तरह छोटे प्लॉट का भुगतान कर सका हूं. 30 किलोमीटर से केडीए आना पड़ता है. आने-जाने में ही बहुत सारे पैसे खर्च करा दिए.’ सिस्टम से थक चुके देवेंद्र कुमार ने आखिरकार केडीए उपाध्यक्ष मदन सिंह गर्ब्याल से सच कहने का निर्णय लिया. जनता दर्शन में पहुंचे. केडीए वीसी ने फाइल मंगाई. बाबू को बुलाया. देवेंद्र की बात सच निकली.
‘आदेश में अंकित-केडीए की छवि धूमिल हुई’
केडीए उपाध्यक्ष मदन सिंह गर्ब्याल ने निलंबन के आदेश में यह अंकित किया है कि अकारण रजिस्ट्री लंबित रखी गई. इससे आवंटी को असुविधा हुई. इससे प्राधिकरण की छवि धूमिल हुई है. सत्यम पांडेय को निलंबित करते हुए कार्मिक विभाग से संबद्ध कर दिया गया. साथ ही सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को सख्त निर्देश दिए गए कि आम जनमानस द्वारा प्राप्त आवेदनों और प्रार्थना पत्रों का समयबद्ध परीक्षण करके गुणवत्तापूर्ण निस्तारण करें अन्यथा कठोर कार्रवाई की जाएगी.