जिन्ना की एंट्री! पूर्व सीएम ने बताया आजादी का नायक तो बीजेपी ने ऐसे किया पलटवार

जानें मामला.

Update: 2021-11-01 03:05 GMT

Uttar Pradesh Election 2022: यूपी में चुनाव करीब आते ही जिन्ना का जिन फिर बोतल से बाहर निकल आया है. यूपी के हरदोई में समाजवादी विजय रथ लेकर पहुंचे अखिलेश यादव ने सरदार पटेल की जयंती के बहाने मोहम्मद अली जिन्ना का खूब गुणगान किया. कहा कि जिन्ना आजादी के नायक थे. यूपी चुनाव से पहले अखिलेश यादव के इस बयान ने बीजेपी को बैठे बिठाए नया मुद्दा दे दिया.

यूपी बीजेपी के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने अखिलेश का भाषण ट्वीट कर पूछा कि सरदार पटेल जी की जयंती पर अखिलेश यादव मोहम्मद अली जिन्ना का गुणगान क्यों कर रहे है? मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के जल शक्ति मंत्री डॉक्टर महेंद्र सिंह ने भी वीडियो शेयर करते हुए ट्वीट किया, 'सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की जयंती के अवसर पर भी इनको अपने आदर्श जिन्‍ना याद आ ही गए.'
वहीं बीजेपी के राज्‍यसभा सदस्‍य और उत्‍तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक बृजलाल ने एक वीडियो जारी कर कहा, 'सपा मुखिया अखिलेश यादव ने लौह पुरुष की तुलना जिन्ना से की है, अखिलेश यादव को पहले इतिहास पढ़ लेना चाहिए. जिन्ना ने हजारों हिंदुओं का कत्लेआम कराया और वह देश के बंटवारे के जिम्मेदार हैं.' बीजेपी सांसद ने कहा अखिलेश यादव जी सरदार पटेल की जयंती के एक दिन पहले आपके पिता जी (मुलायम सिंह यादव) ने 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या में रामभक्तों पर गोली चलवाई थी, मां सरयू का आंचल लाल हो गया था. यादव को लक्ष्य कर उन्होंने कहा कि तुष्टिकरण में इतना नीचे मत गिरो.
अखिलेश यादव ने रविवार को हरदोई की एक जनसभा में मोहम्मद अली जिन्ना की, भारत की आजादी के लिए उनके योगदान की सराहना की थी. सपा प्रमुख ने कहा कि 'सरदार वल्लभ भाई पटेल, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और (मोहम्मद अली) जिन्ना ने एक ही संस्थान से पढ़ाई की और बैरिस्टर बने और उन्होंने आजादी दिलाई. उन्हें आजादी के लिए किसी भी तरीके से संघर्ष करना पड़ा होगा तो पीछे नहीं हटे. उन्होंने राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ का नाम लिए बिना कहा, "अगर कोई विचारधारा (आरएसएस की) है जिस पर प्रतिबंध लगाया गया था तो वह लौह पुरुष सरदार पटेल थे जिन्होंने प्रतिबंध लगाने का काम किया था. आज, जो लोग देश को एकजुट करने की बात कर रहे हैं, वे आपको और मुझे जाति और धर्म के आधार पर विभाजित कर रहे हैं."
दरअसल, जिन्ना से प्यार अखिलेश की मजबूरी भी है, यूपी में करीब 20 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं जिन्हें अपने पाले में लाने के लिए समाजवादी पार्टी, बीएसपी और कांग्रेस के बीच लड़ाई है. अब अगर मुस्लिम वोट बंटता है तो अखिलेश की सत्ता में वापसी का सपना, सपना ही रह जाएगा, यही वजह है कि अखिलेश खुद को मुसलमानों के ज्याादा करीब दिखाने की कोशिश कर रहे हैं. खैर जो भी हो, यूपी में हाल के दिनों में राजनीतिक दलों के तरफ से जिस तरह के बयान सामने आए हैं, उससे साफ इशारा है कि चुनाव आते-आते जनता से जुड़े मुद्दे गौण हो जाएंगे और एक फिर से ध्रुवीकरण के सहारे सत्ता के सिंहासन तक पहुंचने की कोशिश होगी.


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