झाँसी: वन क्षेत्रों का दायरा बढ़ाने के लिए सरकार भले ही पौधे लगाने का रिकॉर्ड बनाए लेकिन विभागों की लापरवाही से लगने के बाद ही पौधे सूख जा रहे हैं. इसकी वजह यह है कि इन पौधों की देखरेख नहीं हो पा रही है. पिछले साल 22 को एक ही दिन में 27 विभागों ने 37 लाख पौधे रोपे गए थे. सबसे अधिक 18 लाख पौधे ग्राम पंचायत विभाग ने लगाए गए थे. लेकिन ये पौधे पानी के अभाव में सूख गए, जो बचे उन्हें पशुओं ने चर लिया.
कैंपियरगंज क्षेत्र के अलीगढ़ ब्लॉक दो में एफडी योजना के तहत वन विभाग ने 10 हेक्टेयर में 25 हजार पौधे रोपे थे. इस जगह पर जब पड़ताल की गई तो पता चला कि इक्का-दुक्का पौधे ही बचे हैं. शेष पौधे कहां गए इसकी जानकारी किसी को नहीं है. इसी तरह शहरी क्षेत्र की बात करें तो यूनिवर्सिटी से मोहद्दीपुर सड़क के बीच बने डिवाइडर पर नगर निगम की तरफ से पौधे रोपे गए. इनमें एक दो ही पौधे बचे हैं. बाकी बचे पौधे या तो सूख गए, या फिर उन्हें जानवरों ने चर लिया. इतना ही नहीं, गोरखनाथ मंदिर से लेकर मोहरीपुर के बीच फोरलेन पर बने डिवाइडर पर नगर निगम तीन बार पौधे रोप चुका है. दो बार पौधे बचे नहीं थे. तीसरी बार जून में फिर से पौधे रोपे गए हैं. इसी तरह गगहा ब्लॉक में हाटा से घेरवापार लिंक मार्ग, असवनपार मार्ग के दोनों तरफ लगे सैकड़ों पौधे रख-रखाव के अभाव में सूख गए हैं. बांसगांव तहसील क्षेत्र में सड़कों के किनारे लगे पौधों का भी यही हाल है.
सात सालों में नहीं बढ़ पाया वन क्षेत्र पौधरोपण अभियान की बात करें तो 17-18 से अब तक एक करोड़ 63 लाख 93 पौधे रोपे जा चुके हैं. अगर इसमें इस साल के 52 लाख पौधे जोड़ दें तो यह संख्या दो करोड़ के पार हो जाएगी. इसके बाद भी जिले का हरित क्षेत्रफल केवल एक प्रतिशत ही बढ़ा है.