Jhansi: पुरानी पेंशन और आयकर के स्लैब में बदलाव की मांग

Update: 2024-07-16 05:25 GMT

झाँसी: देश में हर साल को राष्ट्रीय डाक कर्मचारी दिवस मनाया जाता है. इसका उद्देश्य ऐसे कर्मचारियों के प्रति आभार प्रगट करना है जो ठंड, गर्मी से लेकर बारिश तक बिना ब्रेक के जरूरी डाक घरों तक पहुंचाते हैं. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इनके काम के घंटे बढ़े लेकिन सुविधाओं और मानदेय में इजाफा नहीं हुआ. विभाग में ज्यादातर काम अस्थाई कर्मचारियों के कराया जा रहा है, जो 12 से 15 हजार रुपये के मानदेय पर काम करते हैं.

डाक विभाग का मुख्य काम लोगों की डाक को समय से पहुंचाना है. लेकिन बदलाव के दौर में डाक विभाग बीमा, बैंकिंग, आधार कार्ड से लेकर बिजली का बिल जमा करने का काम कर रहा है. गोरखपुर और महराजगंज में कर्मचारियों की संख्या को देखें तो अस्थाई से कम स्थाई कर्मचारी दिखते हैं. डाक विभाग के कर्मचारी यूनियन की मानें तो गोरखपुर और महराजगंज में 1142 डाक सेवक तैनात हैं. इन्हीं के जिम्मे ग्रामीण इलाकों के डाक घर से लेकर पोस्ट पहुंचाने की जिम्मेदारी है. वहीं स्थाई पोस्टमैनों की संख्या बमुश्किल 200 है. इसके साथ ही अन्य विभाग में करीब 400 कर्मचारी कार्यरत हैं.

भारतीय ग्रामीण डाक कर्मचारी संघ के क्षेत्रीय मंत्री मायापति मिश्रा का कहना है कि ग्रामीण डाक सेवकों को 5 से 6 घंटा ही काम करना है. लेकिन उनसे 8 से 10 घंटे की सेवा ली जाती है. टॉरगेट के नाम पर जिम्मेदारों द्वारा उत्पीड़न किया जाता है. मोबाइल बैंकिंग और अन्य सेवाओं के लिए ग्रामीण डाक सेवकों को मोबाइल मिला हुआ है. यदि मोबाइल खराब होता है तो कर्मचारियों को अपने खर्चे पर मुख्यालय लाना पड़ता है. कर्मचारियों के इसे लेकर कोई यात्रा भत्ता देय नहीं होता है. नये डाक सेवकों को मुश्किल से 12 से 15 हजार रुपये मानदेय मिलता है.

पुरानी पेंशन और आयकर के स्लैब में बदलाव की मांग: भारतीय डाक कर्मचारी संघ के मंडल मंत्री योगेश कुमार पटेल का कहना है कि डाकघर के प्रति विश्वास ही है कि ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, आधार कार्ड, सरकारी नियुक्ति पत्र, भारतीय जीवन बीमा निगम के बांड लेकर बैंकों के डेबिट और क्रेडिट कार्ड पहुंचाने की जिम्मेदारी मिली हुई है. स्पीड पोस्ट की सेवा कहें या फिर गंगा जल की बिक्री डाक विभाग ही कर रहा है. पिछले कुछ वर्षों में स्थाई कर्मचारियों की भर्तियां हुईं हैं. लेकिन हमारी प्रमुख मांगें है. पहला पुरानी पेंशन बहाली की और दूसरा, आयकर के स्लैब में बदलाव की.

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