Jaunpur: कुपोषण से बचने का सबसे कारगर तरीका है मोटे अनाज का सेवन

"कुपोषण से बचने का सबसे कारगर तरीका है मोटे अनाज का सेवन"

Update: 2024-09-27 06:31 GMT

जौनपुर: कृषि विभाग द्वारा गुरुवार को विकास खण्ड मुफ्तीगंज स्थित बीआरसी सभागार में उत्तर प्रदेश श्री अन्न (मिलेट्स) पुनरोद्धार योजना अंतर्गत स्कूल अध्यापकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें श्री अन्न (मिलेट्स) के उत्पादन, महत्व एवं उपयोगिता से अध्यापकों को प्रशिक्षित किया गया।

प्रशिक्षक उप परियोजना निदेशक (आत्मा) कृषि प्रसार डा. रमेश चंद्र यादव ने अध्यापकों को संबोधित करते हुए कहा कि कुपोषण की मुश्किल चुनौती जो एक बड़ी आबादी को घेरे हुए हैं उससे छुटकारा पाने के लिए सबसे कारगर तरीका है मोटे अनाज का सेवन, कभी हमारे जीवन में आहार का महत्वपूर्ण अंग होने वाले मोटे अनाज आज हमारे जीवन आधार से काफी दूर हो चुके हैं। हरित क्रांति से पहले यही मोटे अनाज हमारी जीवनशैली में शामिल थे, हमारे पुरखों की लंबी उम्र और सेहत का असली राज मोटे अनाज हुआ करते थे, जो उन्हें सर्दी, गर्मी और बरसात से बेपरवाह रखते थे। पौष्टिकता से भरपूर इन अनाजों को कम लागत पर उत्पादन किया जा सकता है। महंगाई के दौर में मोटे अनाज गरीबों की पौष्टिक भोजन की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हैं। मोटे अनाज अधिक रेशेदार होने की वजह से आंतों में रुकता नहीं है व कब्ज से बचाता है।

माताएं अपने शिशु को भी पुराने समय में ज्वार व मक्के के आटे का घोल पिलाती थीं जो उनके लिए सुपोषक होता था। आजादी के बाद बाजारीकरण के कारण आम जनता का मोटे अनाजों की तरफ से मोह भंग हो गया। इस दौरान एक फसली खेती को बढ़ावा मिला उसमें धान एवं गेहूं की केंद्रीय भूमिका हो गई नतीजा कृषि योग्य भूमि से मोटे अनाजों की पैदावार उत्तरोत्तर कम हो गई उन्होंने कहा कि देहाती भोजन समझकर जिस मोटे अनाज जौ, जई, बाजरा, ज्वार, सावा, कोदो, रागी को रसोई से बाहर कर दिया गया था आज उसी अनाज को डॉक्टरों एवं वैज्ञानिकों द्वारा प्रमाणित किए जाने के बाद बड़ी-बड़ी कंपनियां इन अनाजों के पैकेट बाजार में उतार रही है जो अब हर वर्ग शौक से खरीदता है अगर आज की मानव पोषण की जरूरतों को समझा जाए तो मोटा अनाज हमारे स्वास्थ्य लिए बहुत महत्वपूर्ण है। कृषि वैज्ञानिक डा. संदीप कुमार ने मिलेट्स की उत्पादन तकनीकी, उसके महत्व एवं उपयोगिता को बताया तथा लगने वाले रोगों एवं कीटो से जैविक तकनीकी से बचाव की जानकारी दिया। अध्यक्षता खण्ड शिक्षा अधिकारी कन्हैया लाल तथा संचालन एडीओ एजी. शिवम गुप्ता ने किया। इस मौके पर बेसिक शिक्षा विभाग के 50 शिक्षक/शिक्षिकाएं मौजूद रहे।

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