मेरठ न्यूज़: प्रदेश के प्रमुख सचिव (परिवहन) वेंकटेश्वर लू के आदेशों के बाद ई-रिक्शा संचालकों में हड़कम्प की स्थिति जरूर है, लेकिन यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि मेरठ सहित प्रदेश भर की सड़कों पर लाखों की संख्या में बेतरतीब दौड़ रहे ई-रिक्शा को मुख्य मार्गों से हटाने के बाद एडजेस्ट कहां किया जाएगा। प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सरकारी आंकड़ों के अनुसार 30 हजार से अधिक ई-रिक्शा दौड़ रहे हैं। कमोबेश यही स्थिति मेरठ जिले की भी है। प्रदेश सरकार का नजरिया दुरुस्त है। उसकी नजर में ई-रिक्शाओं की वजह से ही जाम लग रहे हैं और हादसों का ग्राफ ऊपर जा रहा है। जाम से छुटकारा दिलाने व हादसों को कम करने के लिए प्रदेश सरकार इन पर नकेल कसना चाहती है। इसी को लेकर प्रमुख सचिव (परिवहन) ने सभी जिलाधिकारियों को आदेश दिए हैं कि वो इन ई-रिक्शाओं को शहर की मुख्य सड़कों पर आने से रोकें और ऐसी व्यवस्था बनाए कि यह ई-रिक्शा सवारियां लेकर लिंक मार्गों से मुख्य मार्गों के मुहाने तक तो आएं, लेकिन सवारियां उतारकर यहीं से वापस लौट जाएं।
यहां यह सवाल उठना वाजिब है कि जब यह ई-रिक्शा लिंक मार्गों तक ही सीमित रहेंगे तो ऐसी स्थिति में शहरों के भीतरी हिस्सों में जाम की समस्या और रौद्र रूप ले लेगी। कमाई के लालच में फिर यह ई-रिक्शा चालक शहर के अंदरुनी इलाकों की गलियों तक की सवारियों को रिक्शा में बैठाएंगे और गलियों के अंदर तक ई-रिक्शाओं की दौड़ होगी। अब मेरठ को ही ले लीजिए। यहां पुराने शहर में गलियां और सड़कें बेहद संकरी हैं। शासन का यह आदेश मेरठ पुलिस के लिए नई सिरदर्दी बन सकता है। यहां ई-रिक्शा जब मुख्य मार्गों (दिल्ली रोड, हापुड़ रोड, गढ़ रोड और रुड़की रोड) पर नहीं आएंगे तो यह वापस शहर के भीतरी हिस्सों का रुख करेंगे जिससे शहर में ट्रैफिक का अतिरिक्त दबाव बढ़ेगा और जाम की समस्या और नासूर बन जाएगी। मुख्य मार्गों पर लगातार बढ़ रहे ई-रिक्शाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक आपत्ति जता चुका है। इस शासनादेश के तहत तीन महीनों के भीतर आदेश को लागू किया जाना है। इस व्यवस्था को लागू करने से पूर्व लिंक मार्ग (भीतरी मार्गों से मुख्य मार्गों को जोड़ने वाले मार्ग) तय किए जाएंगे।
इन मार्गों पर ट्रैफिक के दबाव का आंकलन किया जाएगा। सवारियों की संख्या की मॉनिटिरिंग होगी। फिर यह सारा डाटा जिला सड़क सुरक्षा समितियों की बैठक में शेयर किया जाएगा। इस पूरे काम में बाकायदा जिला प्रशासन की टीम के अलावा नगर निगम, यातायात विभाग, पुलिस व परिवहन विभाग की टीमों की मदद ली जाएगी। तब कहीं जाकर इस व्यवस्था को अमलीजामा पहनाया जाएगा।