वाराणसी घोषणा पत्र की जगह अब गुरु शिष्य परंपरा होगी इसका आधार, नई शिक्षा नीति में किया जायेगा लागू
अखिल भारतीय शिक्षा समागम में तीन दिनों में कुल नौ विषयों पर मंथन किया गया और वाराणसी घोषणापत्र की जगह गुरु शिष्य परंपरा पर आधारित व्यवस्था को ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति में लागू किया जाएगा।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अखिल भारतीय शिक्षा समागम में तीन दिनों में कुल नौ विषयों पर मंथन किया गया और वाराणसी घोषणापत्र की जगह गुरु शिष्य परंपरा पर आधारित व्यवस्था को ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति में लागू किया जाएगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने साफ-साफ कहा कि हम लोगों ने सोचा था कि तीन दिनों के मंथन के बाद वाराणसी घोषणापत्र जारी करेंगे लेकिन शिक्षाविदों से मंथन के बाद इसको रोकने का निर्णय लिया गया है।
जहां तक निष्कर्ष की बात है तो तीन प्रमुख निष्कर्षों के आधार पर इसको लागू किया जाएगा। हम यह कह सकते हैं कि तीन दिनों के मंथन के बाद शिक्षा व्यवस्था को गुरु शिष्य परंपरा को आधार बनाकर लागू करना ही वाराणसी घोषणापत्र है।
शनिवार को अंतिम दिन तीन सत्रों में कौशल विकास, रोजगार और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सकारात्मक प्रभावों पर आधारित की चर्चा की गई। शिक्षा मंत्री ने कहा कि कुल नौ विषयों जिसमें मल्टी डिसीप्लनरी, भारतीय भाषा रिसर्च, इनोवेशन, स्किल डेवलपमेंट, समावेशी शिक्षा को ध्यान में रखकर समागम में चर्चा हुई। दो सत्रों में देश भर के विश्वविद्यालयों ने अपने वहां शिक्षा नीति को लेकर अनुभव बताए। 150 से अधिक लोगों ने अपने अनुभवों को साझा किया। सभी से फीडबैक मांगा गया है। इसके आने के बाद आगे निर्णय लिया जाएगा।
फिलहाल तीन प्रमुख बिंदुओं पर निष्कर्ष निकाला है।इसमें छात्र आधारित शिक्षा व्यवस्था, काशी से देश की शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन और युवाओं को जॉब सीकर नहीं बल्कि जाब क्रिएटर बनाना है।
वहीं बीएचयू के कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन की अगुवाई में शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण पर चर्चा की गई। इसमें पुणे से प्रो. विद्या येरावडेकर, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी से कुलपति प्रो. आनंद अग्रवाल, ओपी जिंदल यूनिवर्सिटी सोनीपत के कुलपति प्रो. सी राज कुमार, चितकारा यूनिवर्सिटी पंजाब से डॉ. अर्चना मंत्री ने प्रेजेंटेशन दिया। समापन से पहले शिक्षा नीति के लागू होने के बाद संस्थानों की सफलताओं पर बात हुई।
इसमें मुंबई विश्वविद्यालय से प्रो. सुहास पेडनेकर, बिलासपुर से प्रो. आलोक चक्रवाल, डीम्ड यूनिवर्सिटी से प्रो. एचएन नागराजा, त्रिपुरा विश्वविद्यालय से डॉ. गंगा प्रसाद प्रसेन ने रिसर्च, तकनीकी शिक्षा के विकास के साथ ही कौशल विकास और अंतरविषयक शिक्षा को बढ़ावा देने की तस्वीर पेश की गई।
इन बिंदुओं पर होगा घोषणा पत्र
मल्टीमॉडल एजुकेशन को बढ़ावा
स्किल डेवलपमेंट
रिसर्च एंड इनोवेशन
क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देना
जलवायु परिवर्तन पर होगा शोध
लैंड टू लैब को बढ़ावा