इन पान मसाला प्रतिष्ठानों पर देशभर में आयकर का छापा, 50 ठिकानों पर जांच शुरू

इन पान मसाला प्रतिष्ठानों पर देशभर में आयकर का छापा, 50 ठिकानों पर जांच शुरू

Update: 2022-06-01 17:48 GMT

रियल इस्टेट कंपनी एंबेसी में काला धन खपाने के मामले में मिले इनपुट के आधार पर बुधवार को आयकर विभाग की टीमों ने केसर और दिलबाग पान मसाला के ठिकानों पर एक साथ कार्रवाई की। केसर पान मसाला के मालिक हरीश मखीजा के कानपुर शहर स्थित पांच ठिकानों पर छापा मारा गया। एंबेसी के दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू, गुरुग्राम के अलावा दिलबाग पान मसाला के दिल्ली, आगरा समेत कुल 50 ठिकानों पर कार्रवाई की गई। जांच-पड़ताल में बड़े पैमाने पर कर चोरी के अलावा रुपये डायवर्ट करने के सबूत मिले हैं। फॉरेंसिक टीमों ने भी जांच शुरू कर दी है।

सूत्रों ने बताया कि अलग-अलग टीमों ने केसर पान मसाला के मालिक हरीश मखीजा के स्वरूप नगर और पांडु नगर स्थित आवास, नयागंज स्थित कार्यालय और ट्रांसपोर्ट नगर स्थित फैक्टरी समेत पांच जगहों पर छापा मारा। फैक्टरी में छापा पड़ते ही हड़कंप मच गया। इसके अलावा दिलबाग, तलब और सिग्नेचर ब्रांड नाम से पान मसाला बनाने वाले दिलबाग राय के दिल्ली और यूपी के ठिकानों पर कार्रवाई की गई।

सूत्रों ने बताया कि पान मसाला की कमाई रियल इस्टेट कंपनी के प्रोजेक्टों पर खपाई जा रही थी। कुछ दिनों पहले एंबेसी के बेंगलुरू स्थित प्रतिष्ठानों पर हुई कार्रवाई के बाद विभाग को कर चोरी और फंड डायवर्ट करने के प्रमाण मिले थे। इसके बाद से लंबे समय तक निगरानी के बाद देशव्यापी कार्रवाई की गई है। बताया गया कि केसर पान मसाला के मालिक के अलावा अन्य परिवारीजनों से अफसरों ने पूछताछ की। बड़े पैमाने पर दस्तावेजों के अलावा कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल जब्त किए गए हैं।

बोगस कंपनियों के जरिए खपाई जा रही रकम
जांच पड़ताल में 12 के करीब बोगस कंपनियों की जानकारी मिली है। इन्हीं के जरिए पान मसाला में होने वाली कमाई को रियल इस्टेट कंपनी के प्रोजेक्टों पर लगाया जा रहा था। लंबे समय से ये खेल चल रहा था। बोगस कंपनियां कोलकाता में संचालित होती दिखाई जा रही थीं। इनके जरिए कंपनियों में लोन दिखाए जा रहे थे। लोन के अलावा बोगस कंपनियों के शेयरों को ऊंची कीमत पर खरीद-फरोख्त दिखाकर काला धन सफेद किया जा रहा था
कंपनी की शेयर कैपिटल 1300 करोड़
रियल इस्टेट कंपनी एंबेसी प्रापर्टी डेवलपमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज बेंगलुरू में पंजीकृत है। 1996 में अस्तित्व में आई इस कंपनी की शेयर कैपिटल 1300 करोड़ से भी ज्यादा है। कंपनी के निदेशक जितेंद्र मोहनदास वीरवानी, करन वीरवानी, आदित्य वीरवानी, तान्या जॉन, चंद्र दास सीताराम, नरपत सिंह और गोपीनाथ हैं। कंपनी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में भी लिस्टेड है। 18 मार्च 2019 को कंपनी का आईपीओ लाया गया था।


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