मुज़फ़्फ़रनगर में भाकियू से अफ़सरों की वार्ता फिर विफल

Update: 2023-02-04 13:40 GMT

मुजफ्फरनगर: जनपद मुजफ्फरनगर में किसानों की विभिन्न समस्याओं को लेकर भारतीय किसान यूनियन का धरना आज आठवें दिन भी लगातार जारी रहा। आज आठवें दिन भारी संख्या में किसान और समर्थन देने वाले नेताओं का जमावड़ा लगा रहा। जहां एक और जनपद शामली से राष्ट्रीय लोक दल के विधायक प्रसन्न चौधरी किसानों के लिए खाना लेकर पहुंचे और राकेश टिकैत से मुलाकात कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई तो वहीं पूर्व सांसद और समाजवादी पार्टी के महासचिव हरेंद्र मलिक भी पहुंचे।

धरने पर आज फिर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी पहुंचे। जिन्होंने राकेश टिकैत से विभिन्न मुद्दों पर घंटों बातचीत की मगर कोई बात नहीं बन पाई। अधिकारियों से बातचीत करने के बाद चौधरी राकेश टिकैत ने मीडिया से वार्ता करते हुए बताया कि जब यहां सपा की सरकार रहती है तो किसानों के समर्थन में दूसरे पार्टी के लोग आते हैं आज भाजपा की है तो सपाई और अन्य लोग आ रहे हैं हमारा और सपा का कार्यालय भी एक ही स्थान पर है। उन्होंने कहा कि यह तालमेल का चक्र है जो घूमता रहता है।

उन्होंने कहा कि धरने को मजबूती तो मिलती है जब विपक्ष के लोग आकर समर्थन देते हैं उन्होंने कहा बिहार में भाजपा समर्थन दे रही है किसानों को, लेकिन हम क्या करें जिसको आना है तो आ जाओ। उन्होंने कहा कि 10 फरवरी को पंचायत होगी, पंचायत की सफलता को लेकर सभी लोग लगे हुए हैं गांव में जाकर तैयारी कर रहे हैं और अपने ट्रैक्टर के साथ यहां आएंगे। 10 साल पुराने ट्रैक्टर जो तोड़ने का प्लान सरकार का है इससे मुक्ति का केवल एक ही रास्ता है वह है आंदोलन, पंचायत नहीं तो सब ट्रैक्टर गाड़ियां सब टूटे नहीं, क्योंकि 10 साल में कोई गाड़ी नहीं बदल सकता।

उन्होंने कहा जो सब अधिकारी हैं जिनकी गाड़ियां पुरानी ,है जज है उनकी गाड़ी पुरानी है उनकी भी गाड़ी टूटेगी,यह 10 साल वाला जो डिसीजन है सरकार का यह बहुत खतरनाक है।

अडानी के सवाल पर बोले टिकट

उन्होंने कहा कि पूरी भारत सरकार लग कर भी अडानी को नहीं बचा पाई तो सरकार ने ऐसी बीमारी में पांव क्यों दिया था सरकार ने पूरे देश को लूट कर अडानी को दे दिया और वह फिर भी हार गया तो ऐसा पहलवान क्यों पाल क्यों रहे हैं जो अखाड़े में जाते ही हार जाए।

उन्होंने कहा कि किसानों की सारी प्रॉपर्टी छीन कर पूरे देश की और अडानी को दे दी और वह फिर भी हार गया। उन्होंने किसानों का कहना है कि अपनी जमीनों की निगाह रखें।

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