बिना अनुमति के सिंचाई विभाग के रजवाहे पर अवैध तरीके से बना दिया गया स्टील का पुल
मेरठ न्यूज़: सरकारी जमीनों पर कब्जे हो रहे हैं? यह खेल किसके इशारे पर चल रहा है? आखिर जिम्मेदार कौन है? नगर निगम की बेशकीमती जमीन पर कुछ बिल्डर कब्जा कर रहे हैं। नगर निगम में सबसे निचले पायदान के कर्मचारियों से लेकर सर्वोच्च पायदान तक सेटिंग के आरोप भी लग रहे हैं। यही वजह है कि कीमती जमीनों की घेराबंदी कर पूरा खेल किया जा रहा है। हम बात कर रहे हैं एनएच-58 पर स्थित संस्कृति मंडप के ठीक पीछे गार्डन सिटी होम नाम से एक कॉलोनी विकसित की जा रही है। यह कॉलोनी पूरी तरह से अवैध है। इसका किसी तरह का मानचित्र भी स्वीकृत नहीं है और कॉलोनी में जाने के लिए कोई रास्ता भी नहीं है। सिंचाई विभाग के रजवाहे पर अवैध तरीके से स्टील का पुल बनाकर रास्ता बनाया गया है। इसकी सिंचाई विभाग से कोई अनुमति भी नहीं ली गई।
यही नहीं, गार्डन सिटी होम कॉलोनी के बीच में खसरा संख्या 167 लखवाया रसूलपुर झील के नाम से दर्ज है, जो नगर निगम की जमीन हैं। यह जमीन करीब 890 वर्ग मीटर बतायी गयी हैं। यह भूमि पूरी तरीके से नगर निगम की है। यहां पर नगर निगम ने बोर्ड भी लगाया था, लेकिन इस गड्ढे को बिल्डर के द्वारा भरवा कर घेराबंदी की जा रही है। आखिर नगर निगम की जमीन के साथ बिल्डर छेड़छाड़ क्यों कर रहा है? इस पूरे मामले को लेकर नगर निगम के आला अफसर बिल्डर पर खास मेहरबान बने हुए हैं। नगर निगम की तरफ से बिल्डर के खिलाफ जमीन के साथ छेड़छाड़ करने के बाद भी कोई एफआईआर दर्ज नहीं करायी जा रही हैं। नहीं जमीन पर कब्जा करने से रोका गया है। इस तरह से 890 वर्ग मीटर जमीन पर मिट्टी का भराव करके कब्जे की तरफ बढ़ा जा रहा है।
आखिर मिट्टी का भराव करने की क्या नगर निगम के आला अफसरों ने बिल्डर को अनुमति दी हैं, जिसके बाद गहरी जमीन का मिट्टी से भराव करने के पीछे क्या मंशा हैं? नगर निगम की तरफ से एक बोर्ड भी जमीन में लगाया गया था, जिसमें कहा गया था कि यह जमीन नगर निगम की है। इसमें किसी तरह का भी छेड़छाड़ नहीं किया जा सकता, लेकिन नगर निगम की चेतावनी का भी कोई असर बिल्डर पर नहीं हुआ और बिल्डर ने जमीन पर मिट्टी से भराव कर दिया तथा इसकी दीवार भी लगा दी। गार्डन सिटी होम कॉलोनी का जो मानचित्र लोगों को दिखाया जाता हैं, उसमें नगर निगम की जमीन में पार्क बनाने का प्लान बताया जाता हैं। आखिर बिल्डर नगर निगम की जमीन में पार्क कैसे छोड़ सकता हैं? नगर निगम खुद इस जमीन का उपयोग कर सकता हैं, लेकिन बिल्डर को जमीन का पार्क के रूप में यदि प्रयोग ही करना है तो इसके लिए लिखित अनुमति लेनी चाहिए थी, मगर यहां तो जमीन कब्जाओं का मामला दिखाई दे रहा हैं। इससे साफ होता है कि बिल्डर की मंशा नगर निगम की जमीन को पूरी तरह से कब्जाने की है। इसके लिए नगर निगम ने भी आंखें मूंद ली हैं, जिसके चलते नगर निगम की कीमती जमीनों को कब्याया जा रहा है।
सिंचाई विभाग ने मूंदी आंखें, बना दी रजवाहे पर पुलिया
सिंचाई विभाग का रजवाहा गार्डन सिटी होम से सटकर गुजर रहा हैं। यहां पर लोहे का पुल बना दिया गया। इसी कोई अनुमति नहीं ली। अवैध तरीके से कॉलोनी को विकसित किया जा रहा हैं। रजवाहे की पटरी को कब्जाकर सड़क का निर्माण किया जा रहा हैं। रजवाहे की पटरी के दोनों तरफ करीब नौ मीटर की जमीन सरकारी होना बताया जा रहा हैं, लेकिन बिल्डर ने ये जमीन भी एक तरह से घेर ली हैं, जिसमें सड़क निर्माण की तैयारी चल रही हैं। र्इंटों को बिछा दिया गया हैं, कभी भी इस पर सीमेंट का घोल डालकर सड़क का निर्माण कर दिया जाएगा। शोभापुर पुलिस चौकी के पीछे से यही रजवाहा जा रहा हैं। इस पर धारीवाल नामक बिल्डर ने अवैध तरीके से रजवाहे पर पक्की पुलिया का निर्माण कर दिया हैं। इसकी कोई अनुमति नहीं ली गई। यहां भी अवैध कॉलोनी विकसित की जा रही हैं। आखिर इसमें नहीं तो सिंचाई विभाग ने कोई कार्रवाई की है और नहीं मेरठ विकास प्राधिकरण (एमडीए) ने।
इसी तरह से अवैध कॉलोनियां विकसित की जाती रहेगी और एमडीए के इंजीनियर सेटिंग का खेल खेलते रहेंगे। अब देखना यह है कि नये वीसी अभिषेक पांडेय जेई पर लगाम लगा पाते हैं या फिर इसी तरह से अवैध कॉलोनियों का विस्तार होता रहेगा।