लखनऊ न्यूज़: अगर आपकी गाड़ी चेंकिंग में जब्त हो गई है तो जुर्माने के साथ पार्किंग शुल्क भी अदा करना होगा. चेकिंग में जब्त वाहन को नहीं छुड़ाने पर दो दिन के हिसाब से पार्किंग शुल्क वसूला जाएगा.
जब्त किए पांच तरह के वाहनों के लिए अगल-अलग शुल्क तय किए गए हैं. इनको टोचन करके यार्ड तक लाने के लिए अलग से शुल्क देना होगा. इसके लिए लखनऊ समेत प्रदेश भर के 75 जिलों में व्हीकल डिटेंशन यार्ड बनेंगे.
इस यार्ड को बनाने के लिए छह करोड़ रुपये खर्च होंगे. यार्ड बनाने के लिए सभी जिलाधिकारियों से जमीन उपलब्ध कराने के लिए शासन से पत्र भेजा गया है. अभी तक बुलंदशहर और शामली में जमीन मिल चुकी है. यार्ड की जिम्मेदारी परिवहन विभाग के यात्रीकर अधिकारी संभालेंगे. परिवहन विभाग ने नीति बनाकर मंजूरी के लिए शासन को प्रस्ताव भेज दिया है.
पकड़े गए वाहनों की प्रस्तावित पार्किंग की दरें
वाहन के प्रकार टोचन शुल्क पहले 48 घंटे फिर 48 घंटे बाद
बाइक, ऑटो-ई रिक्शा 200 100 100
हल्के वाहन कार, जीप 400 150 250
हल्के छोटे माल वाहन 1000 200 500
यात्री बसें, भारी वाहन 1500 400 750
मल्टी एक्सल वाहन 2000 500 1000
दस साल पहले रखा था
परिवहन थाने का प्रस्ताव
पुलिस थाने जब्त किए गए वाहनों से फुल होने के बाद परिवहन विभाग ने खुद परिवहन थाना बनाने के लिए पहली बार साल 2013 में एक प्रस्ताव बनाया था. यह प्रस्ताव शासन भेजा गया. वहां आज भी लंबित है. अब इसी आधार पर व्हीकल डिटेंशन यार्ड बनाने की तैयारी की गई है. इसके बनने से वाहनों को पकड़कर जब्त करना आसान होगा.
जगह नहीं होने पर छोड़ देते थे अनफिट वाहन
परिवहन विभाग के चेकिंग दल दो तरह के काम करते हैं. पहला वाहनों का चालान, दूसरा पकड़कर बंद करना. चेकिंग में बगैर फिटनेस वाहन पकड़े जाने पर चालान करके छोड़ देते थे, क्योंकि थानों में बंद करने की जगह नहीं मिलती थी. ऐसे वाहन कभी भी अनियंत्रित होकर सड़क हादसे का कारण बन सकते हैं. अब ऐसे खतरनाक वाहन पकड़कर बंद किए जाएंगे ताकि हादसे कम हों.
ओवरलोड वाहन हो या अनफिट वाहन, इनको पकड़कर बंद करने के लिए पुलिस थाने में जगह नहीं मिलती थी. ऐसे में मजबूरी में चालान करके छोड़ दिया जाता था. अब परिवहन विभाग खुद व्हीकल डिटेंशन यार्ड बनाएगा, जहां चालान के बाद वाहन को जब्त करेंगे. बदले में गाड़ी मालिक से पार्किंग शुल्क लिया जाएगा. इस संबंध में नीति बनाकर शासन को भेजा गया है.
-चंद्र भूषण सिंह,परिवहन आयुक्त