अफजाल अंसारी की राजनीतिक राह में कई बाधाएं आई सांसद बनने के बाद भी उन्हें असफलता हाथ लग सकती है.

Update: 2024-05-03 19:05 GMT
नई दिल्ली | कृष्णानंद राय हत्याकांड से जुड़े गैगस्टर एक्ट के मामले में माफिया मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी को गाज़ीपुर की एमपी/एमएलए कोर्ट ने 1 लाख का जुर्माना और 4 साल की सजा सुनाई थी जिसके खिलाफ अफ़ज़ाल अंसारी की अपील पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई जारी ह . सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 30 जून से पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट इस मामले को तय कर लेगा . इलाहाबाद हाईकोर्ट अगर इस मामले में अफ़ज़ाल की सजा को बरकरार रखता है तो चुनाव जीतने के बाद भी अफ़ज़ाल की सांसदी चली जाएगी. गाज़ीपुर लोकसभा सीट पर नामांकन दाखिल की डेट 7 से लेकर 14 मई है . इस बीच हाईकोर्ट ने अफ़ज़ाल की अपील फाइनल हियरिंग के लिए 13 मई की डेट तय की है .
कोर्ट अगर 13 मई या चुनाव से पहले मामले को तय कर लेता है और अफ़ज़ाल को दोषी ठहरता है अफ़ज़ाल लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए डिस्क्वालिफाई यानी अयोग्य घोषित हो जाएंगे और अगर फैसला चुनाव के बाद आता है तो जीतने की स्थिति में उनकी सांसदी चली जाएगी. गाजीपुर लोकसभा सीट पर 1 जून को वोटिंग होनी है. हालांकि, अफ़ज़ाल के वकील उपेंद्र उपाध्याय ने हमसे बात करते हुए सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला दिया और दावा किया कि अफ़ज़ाल मामले में बरी हो जाएंगे इसका उनको पूरा यकीन है . उपेंद्र उपाध्याउ का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का एक आदेश है कि जिस मामले में आप बरी हो चुके हैं उससे जुड़े गैंगस्टर मामले में आपको सजा नही हो सकती. अफ़ज़ाल अंसारी भी कृष्णानंद राय हत्याकांड में बरी है जबकि उससे जुड़े गैंगस्टर के मामले में उन्हें सजा सुनाई गई है.
दूसरी तरफ अफ़ज़ाल की हाईकोर्ट में दाखिल अपील में उस वक़्त नया मोड़ आ गया जब राज्य सरकार के अलावा कृष्णानंद राय के बेटे पीयूष राय ने कोर्ट में क्रिमिनल अपील दाखिल कर अफ़ज़ाल की सजा को 4 साल से बढ़ाकर 10 साल करने की मांग की है . पीयूष राय के वकील सुदिष्ट कुमार सिंह ने बताया कि इसी गैगस्टर एक्ट के मामले में गाजीपुर की एमपी एमएलए कोर्ट ने माफिया मुख्तार अंसारी को 10 साल की सजा सुनाई थी जबकि अफजाल अंसारी को 4 साल की सजा हुई थी उन्होंने हाईकोर्ट से मांग की है एक ही अपराध के मामले से जुड़े होने के चलते अफ़ज़ाल अंसारी को भी दस साल की सजा सुनाई जाए . उनको पूरा यकीन है कि हाईकोर्ट न सिर्फ अफ़ज़ाल अंसारी की सजा को बरकरार रखेगा बल्कि उसे बढ़ा भी सकता है .
बहरहाल इतना तो तय है कि अफ़ज़ाल अंसारी का राजनीतिक कैरियर दांव पर है. इंतज़ार हाईकोर्ट के आदेश का है. अगर कोर्ट ने अफ़ज़ाल के खिलाफ फैसला सुनाया तो अफ़ज़ाल जीतकर भी हार जाएंगे और अगर चुनाव से पहले अफ़ज़ाल के खिलाफ फैसला आया और कोर्ट ने उन्हें दोषी माना और 2 साल तक कि सजा भी हुई तो समाजवादी पार्टी के सामने धर्मसंकट खड़ा हो जायेगा . ऐसे में सपा का बैकअप प्लान क्या होगा ये देखना रोचक होगा .
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