टीले वाली मस्जिद मामले में सुनवाई पूरी, सेशंस कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला, हिंदू पक्ष का दावा- यह है टीलेश्वर महादेव

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Update: 2022-05-31 16:16 GMT

लखनऊ के सेशंस कोर्ट में मंगलवार को टीले वाली मस्जिद मामले में सुनवाई पूरी हो गई है. हालांकि कोर्ट ने हिंदू व मुस्लिम पक्ष को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है. हिंदू पक्ष की तरफ से दायर वाद में टीले वाली मस्जिद को टीलेश्वर महादेव कहा गया और मस्जिद हटाकर कब्जा देने के साथ-साथ सर्वे कराने की मांग की गई है.

2013 में मामला कोर्ट पहुंचा था. हालंकि मूल वाद निचली कोर्ट में किया गया है जिसकी सुनवाई 30 जुलाई को होनी है. 2013 से इस मामले में लगातार सुनावाई हो रही थी लेकिन इस दौरान मुस्लिम पक्ष के वादी का इंतकाल होने के बाद मुस्लिम पक्ष ने वाद खारिज करने के लिए कोर्ट में अवेदन किया लेकिन निचली कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया था. इसके बाद मुस्लिम पक्ष इस आदेश के खिलाफ सेशंस कोर्ट चला गया था.
मस्जिद हटाकर पूजा करने की मांगी अनुमति
जानकारी के मुताबिक निचली अदालत में हरिशंकर जैन की तरफ से 2013 में वाद दाखिल किया गया था, जिसमें मस्जिद को हटाकर कब्जा हिंदुओं को देने की मांग की गई है. उसमें कहा गया है कि पूरा परिसर शेषनाग दूधेश्वर महादेव का स्थान है. यहां पूजा-अर्चना करने की अनुमति दी जाए. अदालत ने उसे वाद के रूप में स्वीकार करके प्रतिवादी पक्ष को नोटिस जारी किया था.
साल 2017 में निचली अदालत ने इस वाद पर प्रतिवादी की दाखिल आपत्ति को खारिज कर दिया था. यह वाद लॉर्ड शेषनागेस्ट टीलेश्वर महादेश विराजमान, लक्ष्मण टीला शेषनाग तीर्थ भूमि, डॉक्टर बीके श्रीवास्तव रामरतन मौर्य, वेद प्रकाश त्रिवेदी ,दिलीप साहू, स्वतंत्र कुमार त्रिपाठी धनवीर सिंह की ओर से दाखिल किया गया था.
गृहमंत्रालय, ASI को भी बनाया गया है वादी
हिंदू पक्ष ने इस इस मामले में गृह मंत्रालय, आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की लखनऊ सर्किल, स्टेट ऑफ यूपी जरिये प्रमुख सचिव ग्रह, जिलाधिकारी लखनऊ, पुलिस महानिदेशक, लखनऊ पुलिस अधीक्षक पश्चिम, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के जरिए चीफ ऑफिसर के साथ मौलाना फजलुर रहमान को प्रतिवादी बनाया है
लक्ष्मण ने टीले पर की थी शिवलिंग की स्थापना
अदालत में हिंदू पक्ष द्वारा जो वादा किया गया उसके मुताबिक सनातन काल में भगवान राम ने छोटे भाई लक्ष्मण को लक्ष्मण पुरी बनाने का निर्देश दिया था. लक्ष्मण ने गोमती किनारे लक्ष्मणपुरी बनाई और एक टीले पर शिवलिंग की स्थापना कराई, जिसका नाम शेषनाग टीलेश्वर महादेव रखा गया.
1586 में पहली चकबंदी के समय यह विवादित राजस्थान राजस्व अभिलेखों की आबादी मछली भवन चौक के नाम पर दर्ज है. 1877 में प्रॉविन्स ऑफ अवध और 1904 ग्रेटर ऑफ लखनऊ इसके साथ ही तमाम आर्कियोलॉजी सर्वे में लक्ष्मण किले के नाम पर संबोधित किया गया है. 
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