Gorakhpur: लोको पायलट की भर्ती प्रक्रिया आज तक पूरा नहीं कर पाया आआरबी
"2022 में भी विजिलेंस टीम ने की थी छापेमारी"
गोरखपुर: गोरखपुर रेलवे भर्ती बोर्ड में फर्जीवाड़ा या गड़बड़ी का यह मामला नया नहीं है. टेक्नीशियन और लोकोपायलट के 2018 की भर्ती प्रक्रिया अभी आरआरबी पूरी नहीं कर सका है. इसको लेकर यहां सेंट्रल विजलेंस की टीम छापेमारी कर चुकी है. मामला सामने आने के बाद टीम ने नवंबर 2022 में रेलवे भर्ती बोर्ड गोरखपुर के कार्यालय में छापेमारी की थी.
अनियमितता मिलने पर रेलवे बोर्ड ने रेलवे भर्ती बोर्ड गोरखपुर के तत्कालीन अध्यक्ष सहित कार्यालय के सभी कर्मचारियों को हटाने का निर्देश जारी कर दिया था. इसके बाद भी कार्यालय के दो कर्मचारी नहीं हटाए गए. इतना ही नहीं इसी बोर्ड के कर्मचारियों ने तकनीशियन व लोकापायलट की भर्ती में ही लखनऊ व वाराणसी मंडल में रिक्त पदों के सापेक्ष डेढ़ गुना अधिक भर्ती का विज्ञापन निकालकर परीक्षा आरंभ करा दी थी. 1681 अभ्यर्थियों की परीक्षा के बाद भर्ती आरंभ हुई तो फर्जीवाड़ा का खुलासा हुआ. अनियमितता का आलम यह है कि आज तक यह भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई और वेटिंग के अभ्यर्थी भर्ती बोर्ड कार्यालय और कार्मिक विभाग का चक्कर लगा रहे हैं. रेलवे बोर्ड अध्यक्ष के हटाए जाने के बाद पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य कार्मिक अधिकारी नुरुद्दीन अंसारी को बोर्ड अध्यक्ष बनाया गया था.
अभी खुल सकते हैं कई और मामले
जानकारों का कहना है कि रेलवे भर्ती बोर्ड की भर्ती प्रक्रिया और पैनल का सघन निरीक्षण और समीक्षा की जाए तो इस तरह के कई मामले खुलेंगे. इस तरह के भर्जीवाड़ा में बड़ा रैकेट काम कर रहा है, जिसमें अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से इन्कार नहीं किया जा सकता है.
जांच में पकड़ा गया रेलवे में फर्जी नियुक्ति का मामला
रेल कोच फैक्ट्री में फर्जी नियुक्ति के मामले की जांच सेंट्रल विजिलेंस ने भी शुरू कर दी. सेंट्रल विजिलेंस की तीन सदस्यीय टीम ने रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) कार्यालय पर छापेमारी की और दस्तावेज जब्त किए. दरअसल, फर्जी नियुक्ति के बाद में हुई जांच के दौरान यह मामला पकड़ा गया. उसके बाद अक्टूबर 2024 में भर्ती बोर्ड के चेयरमैन नुरुद्दीन अंसारी ने मार्डन कोच फैक्ट्री के अधिकारियों को पत्र लिखकर राहुल प्रताप और सौरभ कुमार को बर्खास्त करते हुए विधिक कार्रवाई करने को कहा था.
आरआरबी में तैनात रहे कर्मियों के पुत्र हैं दोनों: दोनों फर्जी नाम जिनके हैं, वे आरआरबी में ही तैनात रहे दो कर्मचारियों के पुत्र हैं. एक सेवानिवृत हो चुका है. जानकारों के अनुसार दोनों कर्मचारियों की इसमें मिलीभगत थी. पैनल पर चेयरमैन के हस्ताक्षर होने से उन पर कार्रवाई हुई है लेकिन कर्मियों पर अभी कोई सीधी कार्रवाई नहीं की गई है.