Gorakhpur: तीन साल पुराने हालमॉर्क नंबर पर बिक रही ज्वैलरी

ज्वैलरी के संदेह पर टीम ने सर्राफा मंडल के पदाधिकारियों को भी बुलाया.

Update: 2024-07-29 08:00 GMT

गोरखपुर: ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) की टीम ने हिन्दी बाजार में दूसरे दिन भी ज्वैलरी की दुकानों पर सर्वे किया. टीम ने आधा दर्जन दुकानों पर सर्वे कर सैंपल लिया. गोपी गली में एक ज्वैलरी की दुकान पर टीम ने गोलमाल पकड़ा. यहां वर्ष 2021 में जारी हालमॉर्क नंबर पर ज्वैलरी की बिक्री हो रही थी. पुराने नंबर पर नई ज्वैलरी के संदेह पर टीम ने सर्राफा मंडल के पदाधिकारियों को भी बुलाया.

बीआईएस की टीम शुकवार को दिन में एक बजे हिन्दी बाजार की गोपी गली में पहुंची. चार सदस्यीय टीम ने पहले से मिले इनपुट के आधार पर चिह्नित दुकानों पर सर्वे किया. संदेह के आधार पर पांच सैंपल लिया गया. शाम करीब 5 बजे टीम ने एक दुकान पर गोलमाल पकड़ा. ज्वैलरी पर हालमॉर्क नंबर जांचा गया तो वह 2021 में जारी हुआ था. टीम ने पूछा कि इतनी पुरानी ज्वैलरी कैसे नहीं बिकी? जिसपर दुकानदार ने दलीलों से बताया कि ज्वैलरी ग्राहकों को ही बेची जाती है. नहीं बिकने का कोई तर्क नहीं दे सकता. टीम के सदस्य ने दलील थी कि आम दुकानों पर एक हालमॉर्क की ज्वैलरी एक से दो महीने के अंदर बिक जाती है. तीन से चार महीने तक नहीं बिकने वाली ज्वैलरी की चमक भी कुछ कम हो जाती है. इस पर दुकानदार कुछ जवाब नहीं दे सका. बता दें कि बीआईएस की टीम ने भी सर्वे किया था. इस दौरान दर्जनों सैंपल भी लिए गए थे.

सैंपल में गड़बड़ी मिली तो रद्द होगा लाइसेंस: बीआईएस की टीम ने जो सैंपल लिए हैं, उनकी रिपोर्ट एक सप्ताह के अंदर आ जाएगी. यदि फर्जी हालमार्क नंबर मिलता है, तो ज्वैलरी की दुकान का लाइसेंस रद्द हो जाएगा. दोबारा फर्जीवाड़ा पकड़े जाने पर फर्म को ब्लैकलिस्ट करने की कार्रवाई होगी.

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