Gorakhpur: आईसीएमआर ने इंसेफेलाइटिस की गुत्थी सुलझाने के लिए आठ संस्थानों की संयुक्त रिसर्च टीम बनाई

आठ संस्थान करेंगे शोध

Update: 2024-07-01 04:10 GMT

गोरखपुर: Encephalitis के प्रसार पर भले ही अंकुश लग गया हो मगर आज भी यह अबूझ पहेली बना हुआ है. एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से जूझ रहे 25 फीसदी मरीजों में बीमारी की वजह का पता नहीं चल पाता है. अब इस पहले को सुलझाने के लिए आईसीएमआर व रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर (आरएमआरसी) ने बड़े शोध की पहल की है. इसे लेकर आईसीएमआर ने देशभर के आठ संस्थानों की संयुक्त रिसर्च टीम बनाई है.

आरएमआरसी के निदेशक डॉ. कृष्णा पांडेय और वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. गौरव राज द्विवेदी की अगुवाई में टीम का गठन हुआ है. डॉ. गौरव ने बताया कि आमतौर पर इंसेफेलाइटिस के मरीजों की पहचान के लिए छह प्रकार की जांच की जाती है. इसमें जेई, डेंगू और चिकनगुनिया वायरस से जबकि लैप्टोस्पायरा और स्क्रब टायफस बैक्टीरियाजनित और मलेरिया परजीवी से होने वाली बीमारी है.

रिसर्च टीम में इन संस्थानों के विशेषज्ञ: डॉ. गौरव के मुताबिक, हर साल करीब 25 फीसदी मरीज ऐसे मिल रहे जिनमें बीमारी की वजह का पता नहीं चलता है. अब रहस्य से पर्दा उठेगा. इसके लिए आईसीएमआर दिल्ली के साथ ही आरएमआरसी गोरखपुर, एनआईवी पुणे, एनआईएवी हैदराबाद, एनसीईडी कोलकाता, आरएमआरसी नार्थ-ईस्ट व एनआईआरटीएच जबलपुर के साथ टीम बनाई गई है. इसमें पहले चरण में एंट्रो वायरस, हरपीज के छह प्रकार के वायरस और न्यूरो सिस्टी सरकोसिस का पता लगाया जाएगा.

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