Lucknow। क्रांतिकारी कवि गोरख पांडे के 36 में स्मृति दिवस पर ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आइसा) ने आज संगोष्ठी का आयोजन लखनऊ विश्वविद्यालय के शिवाजी लान में किया। विषय था 'गोरख पांडे की कविताएं तथा आज का भारत'।
मुख्य वक्ता थे कवि, संस्कृतिकर्मी तथा जन संस्कृति मंच के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष कौशल किशोर। उन्होंने कहा कि गोरख पांडेय फूल और उम्मीद के कवि हैं। यह दक्षिणपंथी उभार का दौर है। संस्कृति पर हमले बढ़े हैं। ऐसे विपरीत समय में वे हमारे स्वप्न को जिलाए रखते हैं और संघर्ष करने की प्रेरणा देते हैं। अपनी कविता में वह कहते हैं 'हमारी यादों में छटपटाते हैं/कारीगर की कटे हाथ/ सच पर कटी जुबानें चीखती हैं/हमारी यादों में तड़पता है/दीवारों में चिना हुआ प्यार/यहीं पर एक बूढ़ा माली/ हमारे मृत्यु ग्रस्त सपनों में फूलों और उम्मीद रख जाता है।'
कौशल किशोर ने गोरख पांडे की अनेक कविताओं का संदर्भ देते हुए कहा कि इनकी कविताएं अपने काल को रचती हैं, वहीं काल के पार भी जाती है। 1976 में इमरजेंसी के दौर में लिखी 'भड़ुवा बसंत' तथा 1984 में सिख विरोधी हिंसा पर लिखी 'खूनी पंजा' को देखा जा सकता है। ये कविताएं अपने समय से आगे बढ़कर हमारे वर्तमान में पहुंच जाती हैं। गोरख पांडेय विचार, बदलाव और कार्रवाई के कवि हैं। उन्होंने लेखकों और संस्कृति कर्मियों को संगठित करने का काम किया। जन संस्कृति मंच की निर्मिति में उनकी भूमिका सामने आती है।
कार्यक्रम के अध्यक्षता कवि, आलोचक तथा जसम लखनऊ के अध्यक्ष प्रो चंदेश्वर ने की। उनका कहना था कि जिस तरह नई कविता के दौर में दो धाराओं के बीच संघर्ष था, उसी तरह समकालीन कविता में रूपवाद के विरुद्ध गोरख पांडेय जनवाद की धारा को प्रस्तुत करते हैं। उनकी कविताएं संघर्षों की कविताएं हैं जो हमारे लिए जरूरी और प्रासंगिक हैं । इस मौके पर चंदेश्वर ने अपनी छोटी-छोटी तीन कविताएं सुनाई जिसे लोगों ने काफी पसंद किया।
कार्यक्रम का संयोजन आइसा, लविवि के संयोजक हर्षवर्धन ने किया तथा संचालन सत्यम ने किया। तथा कार्यक्रम का आरंभ गोरख पांडे पर लिखी दिनेश कुमार शुक्ला की कविता 'जाग मछंदर' के पाठ से हुआ । बुद्धप्रिय गौतम और शांतम निधि ने भी गोरख पांडे की कविताएं प्रस्तुत कीं। इस मौके पर कौशल किशोर ने अपनी दो किताबें 'भगत सिंह और पाश : अंधियारे का उजाला' व 'उम्मीद चिनगारी की तरह' तथा चंदेश्वर ने 'सामने से मेरे' छात्रों को भेंट की। कार्यक्रम में प्रोफेसर सूरज बहादुर थापा, धर्मेंद्र कुमार, इंदु पांडे, आदियोग, नितिन राज, अभिजीत, सफर, पंकज, सीमा, खुशबू, कीर्ति, राजेश आदि मौजूद रहे। हर्षवर्धन ने सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।