इलाहाबाद न्यूज़: लैंगिक समानता से महिलआों और पुरुषों दोनों का जीवन बेहतर होता है. यह लंबे समय तक बेहतर जीवन जीने में मदद करता है. अमेरिका में हुए एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है.
अध्ययन में ये भी कहा गया है कि सामाजिक-आर्थिक विकास और भौगोलिक स्थितियों के अनुसार अलग-अलग क्षेत्रों में इसके लिए अलग-अलग कारक जिम्मेदार हो सकते हैं. लेकिन, मुख्य रूप से महिलाओं के जीवन और स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाना पुरुषों को भी ज्यादा लंबे समय तक बेहतर जीवन जीने में मदद करता है.
इंपीरियल कॉलेज लंदन और द जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ की ओर से किए गए अध्ययन में लैंगिक अंतर का आकलन करने के लिए वैश्विक लैंगिक अंतर सूचकांक के डाटा का उपयोग किया . इस सूचकांक में आर्थिक भागीदारी व अवसर, शिक्षा, स्वास्थ्य और राजनीतिक सशक्तीकरण जैसे चार आयाम शामिल है.
शिक्षा में निवेश जरूरी
अध्ययन में शिक्षा में लैंगिक समानता का महिलाओं और पुरुषों दोनों की दीर्घायु के साथ भी मजबूत संबंध था. इससे पता चलता है कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में शिक्षा में निवेश जरूरी है.. कई लड़कियां अभी भी शिक्षा की पहुंच से वंचित हैं और संसाधन सीमित हैं.
ये कारक बन रहे हैं बाधा
अध्ययन के अनुसार जैसे-जैसे देश लैंगिक समानता की दिशा में अधिक प्रगति करते हैं, वैसे-वैसे महिलाओं को राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक जीवन में भाग लेने के अधिक अवसर मिलते हैं. जिससे एक सशक्त समाज का विकास होता है. वर्ल्ड इकोनॉमिक ़फोरम की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, जीवन यापन की बढ़ती लागत, कोरोना महामारी और जलवायु परिवर्तन बड़े पैमाने पर लैंगिक समानता की प्रगति को रोक रहे हैं. लैंगिक समानता को लेकर साल 2022 में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम द्वारा जारी सूची में भारत 135वें पायदान पर है. पिछले साल भारत को 140वें स्थान पर रखा गया था.
राजनीति के क्षेत्र में अब भी चुनौती
वहीं, राजनीति के क्षेत्र में लैंगिक समानता इस पर निर्भर करती है कि व्यवस्थाओं द्वारा इसे कैसे लागू किया जा रहा है. हालांकि महिलाएं इस क्षेत्र में चुनौतियों का सामना कर रही हैं. इसमें निजी, पारिवारिक व राजनीतिक जीवन को संतुलित करना आदि कारक शामिल हैं.
ये कारक भी लंबी उम्र के लिए जिम्मेदार
अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ कैट पिन्हो-गोम्स ने कहा कि लैंगिक असमानता को दूर करना आयु बढ़ाने में मदद कर सकता है. इसके अलावा काम करने और रहने की स्थिति, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, आय और सामाजिक समर्थन जैसे कई कारक भी हैैं जो जरूरी हैं.