Gaziabad: फर्जी फर्मों से 469 करोड़ की टैक्स चोरी में तीन गिरफ्तार
गिरफ्तार आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया
गाजियाबाद: डायरेक्टरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस (डीजीजीआई) ने 106 बोगस फर्म बनाकर 469 करोड़ से अधिक का इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) वसूलने वाले तीन कारोबारियों को गिरफ्तार किया है. आरोप है कि इन्होंने देशभर के कारोबारियों के फर्जी बिल बनाए. गिरफ्तार आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया.
डीजीजीआई के अधिकारियों के अनुसार टीम ने करीब एक माह तक खुफिया जांच की, जिसके बाद पिछले पांच साल के दौरान करीब 106 बोगस फर्म बनाकर निर्माण सामग्री, धातु स्क्रैप, तांबा आदि की फर्जी बिलिंग कर बोगस फर्म के नाम पर आईटीसी वसूलने का खुलासा किया. जांच के दौरान टीम ने इस मामले में गाजियाबाद स्थित आनंद विहार के रहने वाले गौरव जैन और दिल्ली के योजना विहार निवासी विक्रांत सिंघल और उसके भाई सचिन सिंघल के घर और कार्यालय की तलाशी ली. यहां माल की आपूर्ति के बिना चालान जारी करने का बड़ा मामला सामने आया. इस दौरान जांच टीम ने वहां मिले ई वे बिल समेत अन्य दस्तावेज अपने कब्जे में ले लिए. जांच टीम के अनुसार तलाशी के दौरान मौजूद आरोपी विक्रांत सिंघल,सचिन सिंघल और गौरव जैन टीम को चकमा देकर परिवार के सदस्यों की मदद से फरार हो गए. फिर टीम इनकी तलाश में जुट गई.
जांच टीम को तीनों आरोपियों की लोकेशन उत्तराखंड में मिली तो उन्हें वहां से गिरफ्तार कर पूछताछ की गई. गिरफ्तार आरोपियों ने बताया कि लेनदेन का सारा डाटा क्लाउड में रखा गया है. प्राथमिक जांच में 2,605 करोड़ की फर्जी बिलिंग पाई गई है, जिस पर 469 करोड़ रुपये की आईटीसी वसूली गई. हालांकि टैक्स चोरी का यह आंकड़ा जांच पूरी होने पर बढ़ने की उम्मीद है. गिरफ्तारी के बाद विशेष सीजेएम मेरठ न्यायालय के समक्ष पेश करने के बाद 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है.
पहचान छिपाने के लिए फर्जी नामों का इस्तेमाल अधिकारी ने बताया कि आरोपियों ने गलत तरीके से कई सिम पंजीकृत कराए. जांच से पता चला है कि आरोपी अपनी वास्तविक पहचान छिपाने के लिए कारोबार में अलग-अलग फर्जी नामों का इस्तेमाल कर रहे थे. इन फर्जी फर्मों के अंतिम उपयोगकर्ताओं का पता लगाने के लिए जांच की जा रही है.