विरोधियों को मुकदमे में फंसाने के लिए की फ़र्जीवाड़ा, रोक दी गई वेतन वृद्धि
फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर केस दर्ज कराया है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क : बिठूर की जानकी सदर तहसील में खुद को धानुक (अनुसूचित जाति) का बताते हुए जाति प्रमाणपत्र का आवेदन किया। 24 मार्च को अनुसूचित जाति का प्रमाण-पत्र उसे मिल गया। इसके आधार पर जानकी ने बिठूर थाने में एक परिवार के कई सदस्यों पर दलित उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज करा दिया। पुलिस कमिश्नर के आदेश पर जांच शुरू हो गई। नामजद परिवार पुलिस के चक्कर काटने लगे। नामजद लोगों में एक रिंकी तिवारी ने सहायक पुलिस आयुक्त कल्याणपुर दिनेश कुमार शुक्ला को शिकायत की कि जानकी अनुसूचित जाति की है ही नहीं। उसने फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर केस दर्ज कराया है।
इसकी जांच के लिए एसीपी ने एसडीएम सदर को पत्र भेजा। एसडीएम ने जांच कराई तो पूरा खेल खुल गया। पता चला कि महिला के दो जाति प्रमाणपत्र जारी हुए हैं। पहला प्रमाणपत्र छह मार्च को जारी हुआ, जिसमें वह पिछड़ी जाति की बताई गई। 24 मार्च को दूसरा धानुक जाति का प्रमाणपत्र जारी हो गया। एसडीएम अनुराज जैन ने बताया कि एसीपी ने दलित उत्पीड़न के दर्ज मामले में रिपोर्ट लिखाने वाली महिला के जारी दो जाति प्रमाणपत्रकी जानकारी मांगी थी। जानकी के दलित होने की पुष्टि नहीं हुई है। जांच में धोखाधड़ी करके प्रमाणपत्र जारी कराने की बात सामने आई है। इसलिए दोनों प्रमाण पत्र को निरस्त कर लेखपाल मदन सिंह को हटा दिया गया है। उनको प्रतिकूल प्रविष्टि देते हुए अगली और पिछली दो वेतन वृद्धि रोक दी गई है।