गाजियाबाद न्यूज़: दुहाई स्थित डाकघर में लाखों रुपये का फर्जीवाड़ा सामने आया है. गांव के ही किसान का कहना है कि उसने और उसकी पत्नी ने डाकघर में साढ़े 11 लाख रुपये जमा कराए थे, लेकिन डाककर्मियों ने न तो उन्हें पासबुक दी और न ही रकम लौटाई. शिकायत करने पर विभाग के अधिकारी सात साल तक टरकाते रहे. विभाग और पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई न होने पर पीड़ित ने कोर्ट की शरण ली. कोर्ट के आदेश पर मधुबन बापूधाम पुलिस ने सहायक अधीक्षक समेत पांच लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है.
दुहाई गांव में रहने वाले सुरेश चंद त्यागी का कहना है कि वह खेतीबाड़ी करते हैं. गांव में ही रहने वाले राकेश त्यागी के मकान में डाकघर की शाखा खुली हुई है. उन्होंने 25 नवंबर 2014 को एक वर्षीय टर्म डिपॉजिट पॉलिसी में साढ़े पांच लाख रुपये जमा कराए थे. जिसकी परिपक्वता तिथि 26 नवंबर 2015 थी. वह एक साल बाद डाकघर गए तो उन्हें एक कागज पर पॉलिसी नंबर लिखकर दे दिया और कहा कि उनकी पासबुक मुरादनगर पोस्ट ऑफिस भेज दी गई है. वहां से भुगतान मिल जाएगा. वह मुरादनगर पोस्ट ऑफिस गए तो उनसे कहा गया कि उनकी पासबुक वहां मौजूद नहीं है. राकेश त्यागी का कहना है कि उनकी पत्नी ने भी दुहाई डाकघर में खाता खुलवाया था, जिसमें छह लाख रुपये जमा किए गए थे. मांगने के बावजूद उनकी पत्नी को पासबुक भी नहीं दी गई. पीड़ित किसान का कहना है कि वह दुहाई और मुरादनगर डाकघर के चक्कर काटते रहे. दोनों के पोस्ट मास्टर धमकाकर भगा देते थे.
शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं सुरेश चंद त्यागी का कहना है कि 19 जनवरी 2016 को उन्होंने डाक विभाग के एसएसपी से शिकायत की. कार्रवाई के संबंध में उन्होंने 20 फरवरी 2016 को आरटीआई लगाई तो यह कहकर जानकारी देने से मना कर दिया कि अभी जांच जारी है, लिहाजा फिलहाल कोई सूचना उपलब्ध नहीं कराई जा सकती. किसान का कहना है कि गांव के ही लाल सिंह ने भी 22 जनवरी 2016 को डाक कर्मियों द्वारा एफडीआर हड़पने की शिकायत की थी. उनके अलावा लाल सिंह, सुशीला देवी, शिक्षावती तथा अन्य पीड़ितों ने नौ फरवरी 2016 को डीएम के यहां शिकायत दी, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई. 26 फरवरी 2016 को तहसीलदार को रिजस्टर्ड डाक से शिकायत भेजी गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.