लखनऊ न्यूज़: उत्तर प्रदेश विधानमंडल के सदस्यों को अब हर साल विधायक निधि के तहत पांच करोड़ रुपये विधानमंडल क्षेत्र विकास निधि के तहत मिलेंगे. अब तक यह धनराशि तीन करोड़ रुपये प्रति वर्ष जीएसटी सहित मिलता रहा है. इस आशय के प्रस्ताव को प्रदेश कैबिनेट ने मंजूर कर दिया.
धनराशि बढ़ने के साथ ही विधायक अब 25 लाख रुपये से अधिक लागत वाली अवस्थापना परियोजनाओं का काम करा सकेंगे. जैसे कन्वेंशन सेंटर, स्पोर्ट्स कांप्लेक्स या आडिटोरियम का काम करा सकेंगे. विधानमंडल के सदस्य किसी परियोजना का चयन संयुक्त रूप से भी कर सकेंगे.
शिक्षण संस्था के भवनो का निर्माण सेफगार्डस के साथ प्रधानाचार्य अथवा प्रबंधक के माध्यम से कराया जाना, राजकीय तथा मान्यता प्राप्त हाईस्कूल व इंटर कालेजों में आवश्यक फर्नीचर, पुस्तकों तथा कंप्यूटर की खरीद की व्यवस्था से अनुदान शब्द विलोपित किया जाना, उपयोगिता प्रमाण पत्र का प्रारूप स्वीकृति के बाद अधिकतम तीन माह के अंदर कार्य शुरू किया जाना एवं विद्यालयों के आधारभूत संरचना का निर्माण, सामुदायिक भवन, पंचायत घर, बारात घर का निर्माण, ग्रामीण संपर्क मार्ग, सार्वजनिक उपयोग की इमारतों का निर्माण, सौर ऊर्जा की स्थापना आदि कार्य भी अब विधायक अपनी निधि से करा सकेंगे.
जिला पंचायत में अभियंताओं की सेवा शर्ते नये सिरे से तय:
कैबिनेट ने प्रदेश की जिला पंचायतों के मानीटिरिंग सेल में नव सृजित अधिशासी अभियंता सिविल, अधीक्षण अभियंता सिविल और मुख्य अभियंता सिविल स्तर-2 की सेवा शर्तों को नये सिरे से तय किया है.
संस्कृत विद्यालयों के लिए अनुदान को हरी झंडी:
कैबिनेट ने माध्यमिक शिक्षा विभाग में अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों के जीर्णोद्धार, मरम्मत, पुनर्निर्माण,के लिए सहयोगी अनुदान के संबंध में संशोधित गाइड लाइन्स को स्वीकृति दे दी है.