Fireworks business: छोटे कारोबारियों पर दिखावे के छापे दुकान और गोदाम में मिले पटाखे
Bareilly बरेली: पहले बरेली पुलिस को सूचना मिली थी कि फटाखा गोदाम में अवैध रुप से पटाखा बना रख रहा है। पुलिस ने गोदाम पर दबिश दी तो यहां प्लास्टिक के दो कट्टों में देशी हाथ से बने पटाखा भरे हुए मिले। वहीं एक एक प्लास्टिक के कट्टे में आधा कट्टा पटाखा भरा हुआ मिला। इस तरह कुल ढाई कट्टा पटाखे जिनमें हिन्दी में कलश ब्रांड छपा हुआ था।
इनसे नुकसान.....
पटाखों में सल्फर नाइट्रेट, मैग्नीशियम, नाइट्रोजन डाइ ऑक्साइड होते हैं। ये श्वसन तंत्र के लिए होते हैं। ये अस्थमा, फेफड़ों के कैंसर, श्वांस और कई अन्य श्वसन रोगों का कारण बन सकते हैं। पटाखे 80 से 200 डेसिबल तक आवाज कर सकते हैं। जबकि 85 डेसिबल आवाज को लगातार एक घंटे तक सुनना कानों के साथ ही दिल के लिए भी खतरनाक हो सकता है। खतरनाक
क्या है ग्रीन पटाखे.....
ग्रीन पटाखे प्रदूषण का स्तर सामान्य पटाखों के मुकाबले तीस प्रतिशत कम बढ़ाते हैं। इनमें मैग्नीशियम और बेरियम की जगह पोटेशियम नाइट्रेट और एलुमिनियम का उपयोग किया जाता है। उनमें वायु प्रदूषण के हानिकारक रसायन नहीं होते हैं। सरकार ने पटाखा कारोबारियों को ग्रीन पटाखे बनाने की छूट दे रखी है। समय-समय तक एजेंसियां इनकी जांच भी करती है।
ये खतरनाक पटाखे
सुतली बम सबसे ज्यादा खतरनाक होते हैं।उनको बनाने में पोटाश बारूद सुतली का उपयोग किया जाता है।
दीपावली का त्यौहार नजदीक आते ही अवैध रूप से पटाखे बनाने और बेचने का कारोबार शुरू हो गया है। इसे रोकने के लिए प्रशासनिक और पुलिस अफसर सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने अलग-अलग टीमें भेजकर छापा मारा।जिले में भारी संख्या में पटाखों का जखीरा मिला था।