लखनऊ। अलीगंज थानाक्षेत्र अन्तर्गत त्रिवेणीनगर थर्ड मौसमबाग निवासी सूरज प्रताप सिंह (45) ने शुक्रवार खुद को कमरे में बंद कर लाइसेंसी रायफल से गोली मार ली। अचानक गोली चलने की आवाज से कॉलोनी में हड़कम्प मच गया। आनन-फानन परिजनों ने पुलिस कंट्रोल रूम पर सूचना दी। सूचना मिलते ही घटनास्थल पर पहुंची पुलिस ने सूरज प्रताप सिंह को गंभीर हालत में नजदीकी अस्पताल में पहुंचाया। जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इसके बाद पुलिस ने शव को कब्जे में लेते हुए पोस्टमार्टम हाउस भेजवाया। सूरज प्रताप छोटे बेटे श्रीकांत की मौत के बाद सदमें में आ गए थे। जिसके बाद उन्होंने लाइसेंसी रायफल से खुद को गोली मार ली।
अलीगंज प्रभारी निरीक्षक नागेश उपाध्याय ने बताया मूलरूप से सीतापुर जनपद के कमलापुर थानाक्षेत्र निवासी सूरज प्रताप सिंह (45) त्रिवेणीनगर थर्ड की मौसमबाग कॉलोनी में सपरिवार रहते थे। उनका छोटा बेटा श्रीकांत (18) इंटरमीडिएट का छात्र था। वह कई महीनों से बीमार चल रहा था। शुक्रवार सुबह हृदयगति रुकने की वजह से श्रीकांत की मौत हो गई। बेटे की मौत सूरज प्रताप सिंह के लिए असहनीय हो गई और वह काफी हद तक आघात हो गए। इसके बाद वह अपने कमरे में चले गए। इसी बीच उनके कमरे से लोगों ने गोली चलने की आवाज सुनी। तत्काल मौजूद लोग कमरे की तरफ गए तो सभी के होश उड़ गए। परिजनों ने सूरज प्रताप सिंह को फर्श पर लहूलुहान हालत में देखा। जिसके बाद लोगों ने फौरन पुलिस कंट्रोल रुम पर सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने सूरज प्रताप सिंह को नजदीकी अस्पताल में पहुंचाया। जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। परिजनों ने बताया कि सूरज प्रताप सिंह को अपने छोटे बेटे श्रीकांत से बेहद लगाव था। बेटे की मौत होने से वह सदमे में आ गए थे। इसके बाद उन्होंने खुद को गोली मार आत्महत्या कर ली। प्रभारी निरीक्षक बताया कि पुलिस कंट्रोल रुम पर खुद को रायफल से गोली मारे जाने की सूचना मिली थी। मौके पर पहुंची पुलिस ने सूरज प्रताप सिंह को नजदीकी अस्पताल में लेकर गई। जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। प्रथम दृष्टिया में स्पष्ट हुआ कि बेटे की मौत के गम में पिता ने आत्महत्या की है।
प्रभारी निरीक्षक ने बताया कि सूरज प्रताप सिंह ने अपनी लाइसेंसी रायफल से खुद को गोली से उड़ाया दिया। उन्होंने गले के बीच रायफल की नाल से रख खुद को गोली मार ली। गोली उनके सिर को चीरते हुए कमरे में छत में धस गई और छत पर मांस के लोथड़े चिकप गए। कमरे की फर्श में खून से लाल हो चुकी थी। बताया कि सूरज प्रताप सिंह करीब 20 से 25 सालों से त्रिवेणीनगर में रहते थे। हालांकि, इस घटना के बाद से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।