मेरठ: ठेकेदार दीपेश के आत्महत्या करने की घटना मेरठ से लेकर लखनऊ तक गूंज गई हैं। इस प्रकरण से नगर निगम की भारी किरकिरी हो रही हैं। भ्रष्टाचार चरम पर है। कमीशन के बिना सड़कों के टेंडर नहीं होते। टेंडर में भी सेटिंग का खेल चलता हैं। ठेकेदार से पहले ही तय कर लिया जाता है कि कितना प्रतिशत कमीशन अधिकारियों को मिलेगा। कमीशनखोरी उजागर होने से नगर निगम की पहले कभी इस तरह से किरकिरी नहीं हुई। आरोप तो बहुत लगे, लेकिन सड़कों पर लोगों ने जुलूस नहीं निकाले।
विधानसभा में भ्रष्टाचार का मुद्दा कभी नहीं उठा, जो वर्तमान में गूंज रहा हैं। ठेकेदार योगेन्द्र पाल गुप्ता के पुत्र अकांशु गोयल का दर्द भी शुक्रवार को सामने आ गया। अकांशु गोयल ने कहा कि निगम अफसरों की नींद नहीं टूट रही हैं। उनके पिता योगेन्द्र गुप्ता की जान चली गई, लेकिन निगम अफसरों ने उनका भुगतान नहीं किया। अभी तक भुगतान रोक रखा हैं। भुगतान लेने के लिए अफसरों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन कोई सुनता ही नहीं। ये हाल है निगम अफसरों का। अकांशु ने कहा कि पिता की डेट हो चुकी, अब उन्हें भी निगम अफसर मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं।
नगर निगम में ठेकेदारी करने वाले अकांशु गोयल अपने पिता की करीब सात माह पूर्व डिप्रेशन के चलते आकस्मिक मौत हो गई थी। अब ठेकेदार का पुत्र अकांशु गोयल निगम में पेमेंट को लगातार चक्कर काट रहा है। उसे हर रोज उनकी फाइलों में कुछ न कुछ कमी बताकर निगम से टरकाया जा रहा हैं। शुक्रवार को भी ‘जनवाणी लाइव’ के दौरान वह निगम में अन्य ठेकेदारों के साथ नगर निगम में मिले।
उन्होंने बताया कि पेमेंट नहीं होने के चलते उनके पिता जोकि निगम में उनके साथ ही ठेकेदारी करते थे, पेमेंट नहीं होने के चलते उन्हे ब्रेन हेमे्रज हुआ और उनकी आकस्मिक मौंत हो गई थी, लेकिन उसके बावजूद नगर निगम की नींद नहीं टूटी। इस तरह से कई अन्य ठेकेदारों की भी हालत पेमेंट नहीं होने के चलते बिगड़ गई,लेकिन नगरायुक्त व अपर नगरायुक्त एवं एई एवं अन्य अधिकारी उन्हे केवल पेमेंट की जगह जांच में कुछ न कुछ कमी बताकर टरका रहे हैं।
अकांशु गोयल ने बताया कि निगम के अधिकारी की तो यही मंशा लग रही है कि वह पेमेंट देना ही न पडे। हाल ही में ठेकेदार दीपेश अग्रवाल की सुसाइड के बाद भी निगम की नींद नहीं टूटी और उसने अपने रवैये में कोई बदलाव नहीं आया। अकांशु गोयल ने बताया कि अखिर वह अपनी पेमेंट की मांग को लेकर कहां जाये? जो सरकार इतनी ईमानदार खुद को बताती है, उसी सरकार में आखिर इतने भ्रष्ट अधिकारी कैसे बचे हुये हैं?
अकांशु गोयल ने बताया कि आखिर वह अपने पेमेंट के लिये किसके दरबार जाये? यहां कोई सुनने वाला नहीं हैं। ये हालत हो गई है निगम अफसरों की, बिना कमीशन लिये फूटी कोड़ी भी भुगतान नहीं कर रहे हैं। करोड़ों रुपये लटके हुए हैं। फाइलों में कमी बताकर लटकाया जाता हैं। ऐसे कैसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीरो टोलरेंस की नीति पर काम हो रहा हैं, ये तो सीधे-सीधे सीएम की जीरो टोलरेंस नीति को एक तरह से सरकारी सिस्टम पलीता लगाने का काम कर रहा हैं।