Faizabad: अयोध्या के प्रमुख मंदिरों में फूल-बंगले की झांकी सजाई गई

कानपुर से लेकर कोलकाता तक से कई कुंतल फूल मंगाए गए थे

Update: 2024-06-24 05:49 GMT

उत्तरप्रदेश: रामनगरी के प्रमुख मंदिर रामलला, कनक भवन, हनुमानगढ़ी व मां सरयू के पावन तट पर शुभव्य फूल-बंगला झांकी सजाई गई. आराध्य के दरबार को सजाने के लिए बनारस, कन्नौज, कानपुर से लेकर कोलकाता तक से कई कुंतल फूल मंगाए गए थे. इसे सजाने करने के लिए परंपरागत रूप से प्रशिक्षित मालियों को बुलाया गया था. झांकी को वृंदावन के संत जगतगुरु पीपाद्वारचार्य बलराम देवाचार्य ने अपनी सानिध्यता प्रदान की. भक्त भगवान के प्रति श्रेष्ठतम समर्पित करने की तैयारी रखता है. मौका कोई भी हो भक्त का यह चरित्र परिभाषित होता है. भीषण गर्मी पर भी भक्त का यह स्वभाव-समर्पण फलक पर होता है.

गर्मी से आराध्य को बचाने के लिए यदि एगर कंडीशनर लगाए जाने का चलन बढ़ता जा रहा है, तो दूसरी तरफ फूल-बंगला से सज्जित करने की परंपरा भी सदियों से प्रवहमान है. इसके पीछे भाव यह होता है कि आराध्य को चहुंओर से शीतल, सुकोमल और शोभायमान पुष्पों से आच्छादित कर उनके सम्मान और उनकी सुविधा के प्रति कोई कसर न छोड़ी जाए. फूल बंगला से सज्जित किए जाने के प्रयास में भांति-भांति के क्विंटलों फूल की जरूरत होती है. झांकी को देखने के लिए देर शाम तक श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही. झांकी के आयोजक बलराम देवाचार्य बताते हैं कि मंदिरों में विराजमान भगवान के विग्रह संत-साधकों के लिए वस्तुत अर्चावतार की भांति हैं.

मंदिरों में प्राण प्रतिष्ठित देव प्रतिमा को सजीव माना जाता है. यही कारण है कि साधक संतों ने उपासना के क्रम में विराजमान भगवान के अष्टयाम सेवा पद्घति अपनाई. इस सेवा पद्घित में भगवान की भी सेवा जीव स्वरूप में ही की जाती है. जिस प्रकार जीव जैसे सोता, जागता है उसी प्रकार भगवान के उत्थापन व दैनिक क्रिया कर्म के बाद उनका श्रृंगार पूजन, आरती भोग-राग का प्रबंध किया जाता है. इसी क्रम में भगवान को गर्मी से बचाने के लिए पुरातन काल में संतों ने फूल- बंगला झांकी की परंपरा का भी शुभारंभ किया था, जिसका अनुपालन आज भी हम कर रहे है.

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