लापरवाही की इंतहा: निगम की जमीन पर बना दी बिल्डिंग

Update: 2023-01-18 09:15 GMT

मेरठ: नगर निगम की करोड़ों की जमीन पर बिल्डिंग बन गई, लेकिन नगर निगम अधिकारियों की तरफ से इसमें कोई कार्रवाई करने की बजाए आंखें मूंद ली। ऐसा तब है जब तत्कालीन एसडीएम संदीप भागिया ने कमिश्नर को एक अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें कहा गया था कि भूमि खसरा संख्या 109/1 जिसका रकबा 0.0510 हेक्टेयर है व खसरा संख्या 109/2 रकबा 0. 0630 है। ये भूमि अभिलेखों में श्रेणी 6-2 की भूमि अंकित है तथा जो नगर निगम संपत्ति के रूप में सरकारी दस्तावेजों में दर्ज है, जिस पर नगर निगम द्वारा अवैध कब्जा नहीं रुकवाया गया।

इसका ध्वस्तीकरण भी नगर निगम द्वारा किया जाना चाहिए था, जो नहीं किया गया। एसडीएम की ये रिपोर्ट कमिश्नर और नगर निगम आॅफिस में गई थी, लेकिन दुर्भाग्य देखिए कि नगर निगम के कर्मचारियों और अधिकारियों की मिलीभगत के चलते पिछले एक वर्ष से इसमें कोई कार्रवाई नहीं की गई तथा इस तरह से बिल्डिंग बनती चली गई। आखिर इसमें जवाबदेही किसकी हैं? क्या जिनकी जवाबदेही बनती है, उनके खिलाफ शासन स्तर से कार्रवाई की जाएगी? नगर निगम कर्मचारी और अधिकारियों के खिलाफ क्या किसी स्तर से कार्रवाई हो पाएगी या फिर इसी तरह से नगर निगम की बेशकीमती संपत्ति को भूमाफिया कब्जाते रहेंगे?


अब फिर से इस मामले को एनएएस कॉलेज के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष तरुण मलिक ने उठाया है। मंगलवार को तरुण मलिक की अगुवाई में कुछ लोगों का प्रतिनिधिमंडल नगर निगम में पहुंचा। नगर निगम में नगर आयुक्त तो नहीं मिले, लेकिन अपर नगर आयुक्त इंद्र विजय से यह प्रतिनिधिमंडल मिला तथा उनसे नगर निगम की जमीन पर किए गए अवैध कब्जे को तोड़ने की मांग की। उन्होंने कहा कि नगर निगम के कर्मचारियों की मिलीभगत से यह नंगला बट्टू में अवैध कब्जा कर लिया गया है। पांडव नगर से सटकर नंगला बट्टू है, जहां पर यह नगर निगम की जमीन कभी खाली पड़ी हुई थी, लेकिन वर्तमान में इसकी चारदीवारी करने के बाद घेराबंदी कर दी गई है।

आखिर कौन है, जो नगर निगम की जमीन को इस तरह से खुलेआम घेराबंदी कर रहे हैं तथा बिल्डिंग बना रहे हैं? जब इस मामले में तत्कालीन एसडीएम संदीप भागिया ने एक जांच रिपोर्ट डीएम और कमिश्नर को भेजी थी तथा उसकी प्रतिलिपि नगर निगम में नगर आयुक्त को भी भेजी गई थी। बावजूद इसके नगर निगम में इसमें कोई कार्रवाई नहीं की। यह रिपोर्ट एक जनवरी 2021 में भेजी गई। इस तरह से इस प्रकरण को एक साल बीत गया हैं, लेकिन नगर निगम के अधिकारियों ने कार्रवाई करने की बजाय इसमें आंखें मूंद ली है। आखिर इन तमाम तथ्यों से यह स्पष्ट हो रहा है कि नगर निगम की सेटिंग के चलते करोड़ों की संपत्ति पर अवैध निर्माण का खेल चल रहा है। यही वजह है कि इसमें कोई कार्रवाई नगर निगम की तरफ से एक वर्ष बीतने के बाद भी नहीं की गई।

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