आज भी ‘गोद’ में बेटियों की चाहत सबसे ज्यादा, यह भी है कारण

Update: 2023-03-24 08:53 GMT

इलाहाबाद न्यूज़: हंसती, खिलखिलाती और चहकती बेटियां घर आंगन की रौनक होती हैं. इस बात को वे लोग तो स्वीकार करते ही हैं जिनकी बेटियां हैं, साथ ही ऐसे दंपती जिनकी औलाद नहीं है, वह भी इस बात को अच्छे से समझते हैं. शायद यही कारण है कि आज भी बेटों की अपेक्षा, बेटियां अधिक गोद ली जाती हैं. इस बात की पुष्टि महिला एवं बाल विकास विभाग के आंकड़े करते हैं. जिले की बात की जाए तो यहां विभाग की ओर से संचालित आश्रित गृहों से हर साल बच्चों को गोद लिया जाता है, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि इनमें लड़कियों की संख्या अधिक है.

वित्तीय वर्ष 2022-23 की बात की जाए तो यहां के आश्रय गृहों से 34 बच्चों को गोद लिया गया. जिसमें 24 बेटियां हैं और 10 बेटे हैं. देश में 18 बेटियों को गोद लिया गया है और विदेश के दंपतियों ने छह बेटियों को गोद लिया है. इसमें अभी जनवरी में एक बेटी को विदेशी दंपती ने गोद लिया. विदेशी दंपतियों ने बाकायदा ऑनलाइन आवेदन कर पूरी सरकारी प्रक्रिया से गुजरकर इन बेटियों को गोद लिया. जो बच्चे किसी समय में अनाथ थे, आज उनका पालन पोषण बहुत अच्छे तरीके से हो रही है. विदेश में एक भी बेटे को गोद नहीं लिया गया है.

यह है प्रक्रिया: गोद लेने की प्रक्रिया थोड़ी जटिल है. इसके तहत सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स एथॉरिटी (कारा) में आवेदन करना होता है. गोद लेने की पूरी प्रकिया कारा की देखरेख में होती है. आवेदन के वक्त जहां से बच्चा गोद लेना है, बेटा या बेटी जिसे गोद लेना है, परिवार का पूरा ब्योरा देना होता है. इसके बाद कारा पूरा सत्यापन करती है. फिर गोद लेने की प्रक्रिया पूरी होती है. गोद लेने के बाद भी संस्था बच्चों के बारे में उनका विवरण अपने पास रखती है.

गोद लेने के मामलों में लड़कियों की संख्या अधिक है. इस वित्तीय वर्ष में भी 24 बेटियों को गोद लिया जा चुका है.

-पंकज मिश्र

डीपीओ

आश्रय गृह में बेटियों की संख्या अपेक्षाकृत अधिक रहती है. यह भी बेटियों को गोद लेने का बड़ा कारण माना जा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं है कि जितने आवेदन आते हैं, उसके सापेक्ष लड़कों की संख्या कम है. आवेदन की प्रक्रिया में लोग अपनी पहली वरीयता बेटी के रूप में देते हैं. वित्तीय वर्ष 2021-22 में भी 20 बेटियां और सात बेटों को गोद लिया गया था.

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