''एलीफैंट कॉरिडोर' अब हाथियों के उत्पात से बचाएगा, नेपाल के शुक्लाफांटा से पीलीभीत टाइगर रिजर्व तक मिलेगा सेफ रूट
हर साल नेपाल के हाथी भारतीय वन क्षेत्र में भ्रमण करने आते हैं। इस दौरान वे फसलों को भी रौंदते हैं और इंसानों की जान भी ले रहे हैं।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हर साल नेपाल के हाथी भारतीय वन क्षेत्र में भ्रमण करने आते हैं। इस दौरान वे फसलों को भी रौंदते हैं और इंसानों की जान भी ले रहे हैं। कतर्निया घाट, दुधवा, किशनपुर से पीलीभीत तक हाथियों के भ्रमण से वन विभाग लंबे समय से चिंतित रहा है।
नेपाल के हाथियों के उत्पात से बचाने के लिए एलीफैंट कॉरिडोर तैयार किया जाएगा। नेपाल के शुक्लाफांटा से भारत के दुधवा होते हुए पीलीभीत टाइगर रिजर्व तक जंगल में कॉरिडोर तैयार किया जाएगा। यह कवायद पीलीभीत के लग्गा-भग्गा तक विचरण करने वाले हाथियों को रास्ता उपलब्ध कराने के लिए की जा रही है।
वर्ष 2018 में भारत और नेपाल के बीच प्रशासनिक व वन विभाग की बैठक में यह मामला उठा भी। दुधवा टाइगर रिजर्व के तत्कालीन निदेशक रमेश पांडेय ने हाथियों के रास्ते को लेकर एक रिपोर्ट नेपाल प्रशासन के सामने रखी। बैठक में हामी भरने के बाद भी नेपाल की ओर से इस तरफ खास कदम नहीं उठाया गया। अब वन विभाग ने तराई आर्क लैंड प्रोजेक्ट के तहत खुद ही इस पर काम शुरू किया है। दुधवा पार्क प्रशासन के उच्चाधिकारियों का कहना है कि नेपाल के हाथी नाहक ही इस ओर नहीं आते। दरअसल नेपाली जंगल क्षेत्र में तस्करों से बचाव के लिए बाड़ लगानी शुरू की गई। इसका असर हाथियों के प्राकृतिक माहौल पर पड़ा। ऐसे में वे नेपाल से ज्यादा भारत के जंगल पसंद कर रहे हैं। एक दौर में साल में डेढ़ माह के लिए भारत आने वाले हाथी साल में सात महीने तक यहीं प्रवास कर रहे हैं। दुधवा और पीटीआर को उनके आने-जाने के रास्ते को सुलभ करना जरूरी पड़ गया। इसी रास्ते को एलीफैंट कॉरिडोर का नाम दिया है।
हाथियों की राह में बिजली के तार और अतिक्रमण
नेपाल से निकलने वाले हाथी पीलीभीत टाइगर रिजर्व तक अपने पुराने रास्ते पर आते हैं, पर साल दर साल इन रास्तों की तस्वीर बदलती रही है। अब इन रास्तों पर बिजली के तार, खंभे, खेत, अवैध गौढ़ियां बनने लगीं हैं। एलीफैंट कॉरिडोर बनाने के लिए वन विभाग और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ रास्ते की इन्हीं बाधाओं को दूर करेगा।