वाराणसी: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सूबे में नई औद्योगिक इकाइयां स्थापित करने पर जोर दे रहे हैं. सरकार उद्यमियों को कई सहूलियतें दे रही है. लेकिन नौकरशाहों के मकड़जाल में उद्यमी फंसे रह जा रहे हैं. अकेले बनारस में दर्जनभर नई इकाइयां छह माह से महज इसलिए शुरू नहीं हो पाईं कि उन्हें बिजली कनेक्शन ही नहीं मिला. वहीं पुरानी इकाइयां भी विभागीय दिक्कतों से प्रभावित हैं.
रामनगर औद्योगिक क्षेत्र में स्थित इन इकाइयों के अलावा 30 से ज्यादा उद्यमियों ने लोड बढ़ाने का आवेदन किया है जो सालभर से लंबित है. फैक्ट्री शुरू न होने से नए उद्यमियों को बैंक में लाखों रुपये ब्याज भरना पड़ रहा है, रखरखाव पर खर्च अलग हो रहा. कुल मिलाकर उनपर दोहरी मार पड़ रही है.
इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आरके चौधरी बताते हैं कि रामनगर औद्यौगिक क्षेत्र में नए विद्युत सब स्टेशन की जरूरत है. रामनगर इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष डीएस मिश्रा ने बताया कि यह स्थिति कुछ दिन और रह गई तो इकाइयां चालू होने से पहले बंद हो जाएंगी. यह एक तरह से उद्योग की भ्रूण हत्या होगी और इसके लिए विद्युत विभाग के अधिकारी जिम्मेदार होंगे.
रामनगर औद्योगिक एसोसिएशन के अध्यक्ष देव भट्टाचार्य ने कहा कि फेज-1 एवं फेज 2 में दर्जनभर नए उद्यमी छह माह से फैक्ट्री लगाकर बिजली का इंतजार कर रहे हैं. नवंबर-दिसंबर 2022 में ऑनलाइन आवेदन किया है. 12 जुलाई को पूर्वांचल डिस्कॉम के एमडी शंभु कुमार से मुलाकात की थी. उन्होंने 30 जुलाई तक ट्रांसफार्मर लगाने का आश्वासन दिया था जो नहीं लग पाया.