मथुरा में पांच लाख आबादी को बिजली संकट, जानिए कारण
पुराने शहर में जर्जर तार नहीं बदले गए
मथुरा: पिछले छह माह से जर्जर तार बदलने को लेकर बिजली कटौती का खेल चल रहा है. इसके बावजूद चौक, चौपटिया, नादान महल रोड सहित पुराने शहर के अधिकांश क्षेत्रों में जर्जर एबीसी (एरियल बंच कंडक्टर) नहीं बदली गई. लेसा के विक्टोरिया, मेडिकल कॉलेज, घंटाघर, गऊघाट, यूपीआईएल, जीटीआई उपकेंद्रों में एलटी सर्किट बदलने का काम शुरू नहीं हुआ. यह हाल तब है जब पिछली गर्मी में बिजली मांग बढ़ने व शॉर्ट सर्किट से एबीसी लाइन में आग लगने से घंटों बिजली संकट झेलना पड़ा था. अधिकारियों के मुताबिक अगर जर्जर तार और एबीसी नहीं बदले गए तो पांच लाख आबादी को बिजली संकट झेलना पड़ेगा.
उपभोक्ताओं तक निर्बाध बिजली सप्लाई पहुंचाने में जर्जर-तार बड़ी बाधा बन रहे हैं. अशर्फाबाद, बिल्लौचपुरा, राजा बाजार, यहियागंज, आगा मीर ड्योढ़ी, अकबरी गेट, कश्मीरी मोहल्ला, सराये माली खां में जगह-जगह बिजली के तारों में ज्वाइंट लगे हैं, तो कहीं ढीले होकर नीचे लटक रहे हैं, तो कहीं हाथों से छू जा रहे हैं. तेज हवा चलने पर इन तारों के टकराहट से स्पार्किंग हादसे का कारण बन रही है, जिससे आये दिन बिजली सप्लाई ठप होती है. लेसा ने आरडीएसएस (रिवैंप डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम) के तहत जर्जर तारों को बदलने का काम शुरू किया. नई एबीसी लाइन बिछाने व नये फीडरों का निर्माण, फीडरों से लाइनों को जोड़ा जाएगा, ताकि बिजली भार कम हो सकें. ओवरलोड ट्रांसफार्मर हैं, तो वहां पर नए ट्रांसफार्मर लगाए जाएंगे. मगर सारी कवायदें कागजों तक ही सिमटी रहीं.
बिजली चोरी इलाकों में काम किए गए हैं. साथ ही चौपटिया, नादान महल रोड सहित अन्य उपकेंद्रों भी पर काम शुरू किया जाएगा. उपभोक्ताओं को बिजली कटौती की सूचना जरूर दें. -रवि कुमार अग्रवाल, मुख्य अभियंता, सिस गोमती द्वितीय, लेसा