जनता से रिश्ता वेबडेस्क। लखनऊ: लखनऊ नगर निगम (एलएमसी) ने अब कुत्तों की ऐसी नस्लों की पहचान की है, जो खतरनाक हैं और वह पालतू जानवरों के रूप में रखने के तौर पर सुरक्षित नहीं हैं. एलएमसी ने लोगों को सलाह दी है कि इन नस्लों को पालतू जानवर के रूप में न रखें, क्योंकि ये बुजुर्गो और बच्चों के लिए खतरनाक हो सकते हैं. बता दें कि पिछले हफ्ते लखनऊ में एक पिटबुल ने अपने 82 वर्षीय मालिक को मौत के घाट उतार दिया था.
एलएमसी के पशु कल्याण निदेशक डॉ. अरविंद राव ने कहा, हम लोगों को मास्टिफ, रॉटवीलर, अमेरिकन बुलडॉग, जर्मन शेफर्ड, पिटबुल को घर में पालतू जानवर के तौर पर रखने की सलाह नहीं देते, क्योंकि इन कुत्तों के काटने की शक्ति बहुत अधिक होती है. अगर ये किसी को काट लें, तो इनके जबड़े से किसी को छुड़ाना काफी मुश्किल होता है.
मास्टिफ की अधिकतम काटने की शक्ति 552 पाउंड प्रति वर्ग इंच (पीएसआई) है. अगर यह कुत्ता किसी को काट लें, तो हड्डियां तक टूट जाती है. इसी तरह, रॉटवीलर में 328 पीएसआई की काटने की शक्ति होती है, उसके बाद अमेरिकी बुलडॉग के पास 305 पीएसआई की काटने की शक्ति होती है. वहीं जर्मन शेफर्ड और डोबर्मन्स के पास 238 पीएसआई की काटने की शक्ति होती है. इसके अलावा, पिटबुल में 235 पीएसआई की काटने की शक्ति होती है.
उन्होंने कहा कि शहर में, लगभग 927 लोगों के पास खतरनाक प्रजातियों को पालतू जानवर के तौर पर रखने का लाइसेंस हैं, इसलिए एलएमसी की जिम्मेदारी है कि वे उनके मालिकों को कुत्तों के व्यवहार और उनकी क्रूरता के बारे में जागरूक करें. एलएमसी जल्द ही इन मालिकों के पास पहुंचकर जानवरों की जांच करेगी. एलएमसी पुलिस और अन्य विभागों के पेशेवर कुत्ते प्रशिक्षकों से भी संपर्क कर रही है, ताकि इस मुहिम की रफ्तार तेज हो सके. इसके अलावा, एलएमसी खतरनाक कुत्तों के लिए लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया को थोड़ा कठिन बनाने पर विचार कर रही है.