मेरठ न्यूज़: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय का 34वां दीक्षांत समारोह 15 दिसंबर को आयोजित होने जा रहा है। इस वर्ष भी स्वर्ण पदक पाने वाले मेधावियों में बेटियों की संख्या अधिक ही नहीं बल्कि दो तिहाई है। इस दीक्षांत समारोह में 165 मेधावियों को 228 स्वर्ण पदक प्रदान किए जाएंगे। इनमें से 27.27 प्रतिशत छात्र हैं, जबकि 72.73 प्रतिशत छात्राएं मेधावी सूची में शामिल हैं। वर्ष 2021 के शेष व 2022 के लिए कुल 45 छात्र व 120 छात्राओं को स्वर्ण पदक व प्रमाण पत्र प्रदान किए जाएंगे। इनमें से प्रायोजित स्वर्ण पदक 59 प्रदान किए जाएंगे। इसमें भी 79.66 प्रतिशत छात्राएं हैं और 20.34 प्रतिशत छात्र हैं। प्रायोजित स्वर्ण पदकों में 12 छात्रों व 47 छात्राओं को मिलेंगे। कुलाधिपति व राज्यपाल आनंदीबेन पटेल मंच पर कुल 63 स्वर्ण पदक प्रदान करेंगी। इनमें 59 प्रायोजित स्वर्ण पदकों के अलावा एक-एक कुलाधिपति पदक व पूर्व राष्ट्रपति डा. शंकर दयाल शर्मा स्वर्ण पदक और दो चौधरी चरण सिंह स्मृति प्रतिभा पुरस्कार प्रदान करेंगी।
उपाधियां में छात्राओं की संख्या दोगुनी: विवि की ओर से इस दीक्षांत समारोह के बाद कुल 1,31,193 उपाधियां भी भेजी की जाएंगी। इनमें भी छात्राओं की उपाधियां छात्रों की तुलना में दो तिहाई हैं। कुल उपाधियों में से 33.18 प्रतिशत यानी 43,53,4 उपाधियां छात्रों की हैं और 66.82 प्रतिशत यानी 87,659 उपाधियां छात्राओं की हैं। इसमें यूजी, पीजी, पीएचडी सभी उपाधियां शामिल हैं।
एनसीसी रिहर्सल में मेधावियों को बताया अनुशासन: विवि में मंगलवार को दीक्षांत समारोह को लेकर एनसीसी कैडेट्स का फुल ड्रेस रिहर्सल हुआ। कैडेट्स ने राज्यपाल के स्वागत से लेकर उनके सामने की जाने वाली ड्रिल को प्रस्तुत किया। कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने एनसीसी कैडेट्स का गार्ड आॅफ आनर देखने के बाद उनसे मुलाकात की। गार्ड आॅफ आनर के दौरान सेना की पाइप बैंड ने स्वागत धुन दिए। इसके साथ ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस प्रेक्षागृह में मेधावियों को राज्यपाल के समक्ष प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए पदक व प्रमाण पत्र लेने की प्रक्रिया को समझाया गया। निरीक्षण के दौरान कुलपति ने कमियों पर नाराजगी व्यक्त करते हुए दुरुस्त करने के निर्देश दिए।
पहले एकल, फिर ग्रुप में जाएंगे मेधावी: मंच पर 63 पदकों के लिए चयनित मेधावी एक-एक कर जाएंगे। इसके अलावा अन्य मेधावियों को विभागवार नौ से 11 छात्रों के ग्रुपों में विभाजित किया गया है। अधिक संख्या वाले विभाग से दो से तीन ग्रुप रहेंगे और एक साथ मंच पर पहुंचेंगे। मेधावियों के अभिभावक भी दीक्षा समारोह में शामिल होंगे। यदि कोई मेधावी इस समय शहर में नहीं है तो उनके परिजनों में से कोई एक राज्यपाल से पदक व प्रमाणपत्र ग्रहण कर सकता है।
कला को कोई मजबूत कॅरियर के रूप में नहीं लेता: आरजू
चौधरी चरण सिंह विवि के 34वें दीक्षांत समारोह की स्वर्ण पदक विजेता आरजू हापुड़ जिले के कन्या कल्याणपुर गांव की रहने वाली है। उन्होंने मास्टर आॅफ फाइन आर्ट से 88 प्रतिशत अंक प्राप्त किए है। वह आर्ट की प्रोफेसर बनकर यह बताना चाहती है कि वास्तव में कला का हमारे जीवन में क्या महत्व है। आरजू का कहना है कि कला के बिना हमारा जीवन अधूरा है।
इससे छात्र प्रोफेसर, कलाकार, पेंटर, म्य्ूाजियम आदि क्षेत्रों में करियर बना सकते हैं। आरजू का कहना है कि आजकल अच्छे प्रोफेसर मिलना मुश्किल है वो कला का महत्व ही नहीं जानते, इसके चलते जागरूकता की कमी है, लेकिन मैं एक प्रोफेसर बनना चाहती और आर्ट का सही महत्व छात्र-छात्राओं को बताना चाहती हूं।
मेरा सपना पीएचडी करने का है, जिसके लिए मैं इस समय जेआरएफ व नेट की तैयारी कर रही हूं। आरजू के पिता नरेश गिल किसान है और मां पुष्पा गृहिणी है। उनका एक भाई अर्जुन हैं, जो बीएएलएलबी कर रहा है। आरजू ने फाइन आर्ट से मास्टर किया है। आरजू को पूर्व राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा स्वर्ण पदक मिलने जा रहा है।
किसानों की मदद के लिए की पढ़ाई: बुलंदशहर निवासी ब्रिजेश कुमार को इस बार बीएससी एग्रीकल्चर में 81.61 प्रतिशत अंक मिले हैं, अब वो एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से एमएससी कर रहे हैं और साथ ही पीसीएस की तैयारी कर रहे है। उन्होनें बताया कि वो डिस्ट्रीक एग्रीकल्चर आॅफिसर, डीएचओ और सीनियर टेक्निकल असिस्टेंट बनकर किसानों की मदद करना चाहते हैं। उनका कहना है कि किसानों को सबसे अधिक लोन लेने में दिक्कत आती है, जिसके चलते वो अक्सर सुसाइड जैसे कदम उठा रहे हैं, इसको रोकने के लिए मैं अधिकारी के तौर पर उनकी लोन की सुविधा दिलाने और योजनाओं का लाभ दिलाने में मदद करूंगा। ब्रिजेश के पिता ललित कुमार भी एक किसान है और मां शकुंतला देवी गृहिणी है। ब्रिजेश ने 10वीं में 85 प्रतिशत व इंटरमीडिएट में 82 प्रतिशत अंक यूपी बोर्ड से प्राप्त किए हैं, वो अपने चाचा धीरेंद्र कुमार को जो एलआईसी विकास अधिकारी है को अपना आदर्श मानते है। उन्होंने बताया कि उनकी स्टडी में उनके बॉटनी प्रोफेसर वीके प्रसाद ने उनकी बहुत मदद की व अब भी कर रहे हैं।
तनु भारतीय वन सेवा में बनना चाहती है अधिकारी: चौधरी चरण सिंह स्मृति प्रतिभा पुरस्कार प्राप्त करता तनु चौधरी को बीएससी एजी में 80.60 फीसदी अंक मिले है। वह इस समय गोचर महाविद्यालय रामपुर मनिहारन से बीएड कर रही है। 12वीं सरस्वती विद्या मंदिर अंबेठा पीर स्कूल से की थी। जिसमें 81 फीसदी अंक मिले। तनु भविष्य में सिविल सर्विस की तैयारी करके भारतीय वन सेवा में अधिकारी बना चाहती हैं। पिता ब्रजवीर किसान और मां रीना देवी गृहिणी हैं।
जज बनना चाहती है सुरुचि: विवि के दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाली मोदीनगर निवासी सुरुचि ने एलएलएम मेरठ कॉलेज से किया है। जिसमें उनको 69.56 अंक प्राप्त हुए और एलएलबी 62 फीसदी। सुरुचि अब अब जज बनना चाहती हैं। पिता मनोज कुमार नेवी से रिटायर है और मां सुमन गृहिणी है। हाल ही में रोहटा रोड शालीमार गार्डन के विकांत सहारन से शादी हुई है। सफलता का श्रेय माता-पिता, पति और शिक्षकों को दिया। बहुत खुशी है कि चांसलर मेडल मिलेगा।
जानवरों की मदद करना है सपना: आरजू ने बताया कि अगर मेरे पास कभी सक्सेस आया और पैसा आया तो मैं जानवरों की मदद के लिए एक हाउस खोलूंगी, जिसमें उनके खाने, दवा से लेकर रहने तक की व्यवस्था फ्री होगी।