मजदूरी न देनी पड़े, इसलिए कर दी थी हत्या, 3 आरोपी को मिली ये सजा

जानिए पूरा मामला.

Update: 2021-11-27 08:36 GMT

देवरिया: यूपी के देवरिया में 11 साल पहले हुई एक मजदूर की हत्या के मामले में अपर सत्र व न्यायाधीश शाश्वत पांडेय की कोर्ट ने तीन अभियुक्तों को उम्र कैद की सजा सुनाई है. बीस-बीस हज़ार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है. हत्या इसलिए की गई थी कि मजदूरी के बकाया रुपये न देने पड़ें. घटना 17 मई 2010 की है.

गोरखपुर के बड़हलगंज के भोला मोहल्ला निवासी जबीर खान देवरिया के रुद्रपुर के महेशपुर में ईंट भट्ठे पर मजदूरी का काम करता था. जबीर के मोहल्ले का ठेकेदार कलीम जो मकान व सड़क ठेके पर बनाने का काम करता था. उसने नबीर को महेशपुर में मज़दूरी के लिए बुलाया था. नबीर ने काम करने के बाद जब कलीम से अपने 17000 रुपये बकाया मजदूरी की मांग की तो कलीम पैसे देने से मना करने लगा.
नबीर को मजदूरी के पैसे न देने पड़ें, इसके लिए ठेकेदार कलीम ने उसे रास्ते से हटाने की ठान ली. 17 मई 2010 को ईंट भट्ठे पर कलीम व उसका बेटा जावेद और राजू, इस्माईल ने नबीर की पीट-पीट कर हत्या कर दी. और शव फेंक फरार हो गए थे. इसमें मृतक जबीर के बेटे की तहरीर पर बड़हलगंज थाना में मुक़दमा दर्ज किया गया, लेकिन घटनास्थल देवरिया जिले का रुद्रपुर था.
इसके बाद मामला रुद्रपुर कोतवाली ट्रांसफर हो गया, विवेचना चल रही थी. ऑपरेशन शिकंजा के तहत प्रभावी पैरवी की गई, कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया गया. इसके आधार पर 26 नवम्बर 2021 को फैसला सुनाया गया. सहायक शासकीय अधिवक्ता श्रीधर तिवारी के मुताबिक, अपर सत्र एवम न्यायाधीश शाश्वत पांडेय की अदालत ने ठेकेदार कलीम बेटे जावेद और राजू को जबीर खान की हत्या करने का दोषी पाया है. इसके आधार पर इन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई. इन्हें बीस-बीस हज़ार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया गया है.
एडिशनल एसपी राजेश सोनकर ने बताया कि 2010 में हत्या का एक प्रकरण थाना रुद्रपुर में पंजीकृत था, जो न्यायालय में विचाराधीन था. ऑपरेशन शिकंजा के तहत न्यायालय जनपद तथा देवरिया पुलिस के प्रभावी पैरवी के परिणाम स्वरूप कोर्ट ने तीन अभियुक्तों को आजीवन कारावास और बीस हजार के अर्थदंड से दंडित किया है.
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