यूपी में डेंगू मच्छर मौसम को भी दे रहा है मात, 40 डिग्री तापमान में जिंदा मिले अंडे, स्वास्थ्य विभाग सतर्क

प्रदेश में बारिश होते ही डेंगू फिर पांव पसार सकता है। यह आशंका स्वास्थ्य विभाग के सर्वे में पुख्ता हुई है।

Update: 2022-06-22 02:28 GMT
Dengue mosquito is also beating the weather in UP, eggs found alive in 40 degree temperature, health department alert

फाइल फोटो 

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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। प्रदेश में बारिश होते ही डेंगू फिर पांव पसार सकता है। यह आशंका स्वास्थ्य विभाग के सर्वे में पुख्ता हुई है। सर्वे में पता चला कि एडीज मच्छर (डेंगू फैलाने वाला) के अंडे 40 डिग्री से अधिक तापमान में भी नष्ट नहीं हुए हैं। परिस्थितियां अनुकूल होते ही इन अंडों से डेंगू के मच्छर पैदा होंगे। इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है। विभाग ने डेंगू रोधी अभियान को तेज करते हुए नगर निगमों, नगर पंचायतों एवं ग्राम पंचायतों को जमा कबाड़ को हटवाने के निर्देश दिए हैं।

प्रदेश में पिछले साल जनवरी से जून तक सिर्फ 140 डेंगू के मरीज मिले थे, लेकिन बारिश होते ही इन मरीजों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई थी। बीते साल नवंबर तक डेंगू मरीजों की संख्या 27109 तक पहुंच गई थी। यही नहीं करीब 60 फीसदी मरीजों में डेंगू का डी 2 वैरिएंट मिला था। इस साल भी जनवरी से अब तक 127 मरीज मिल चुके हैं। इसे देखते हुए वेक्टर बॉर्न डिजीज विभाग की टीम ने मई से ही सक्रियता दिखानी शुरू कर दी है।
हर जिले में सर्विलांस टीम ने विभिन्न स्थानों पर जमा कबाड़ से सैंपल लेकर जांच कराई तो इनमें कई जगह डेंगू के अंडे मिले। ये अंडे इस समय चल रहे 40 डिग्री से अधिक तापमान के बाद भी नष्ट नहीं हुए। इन अंडों को जब पानी में रखा गया तो हैचिंग से लार्वा और फिर एडीज मच्छर बन गए। विभाग इसे बड़ा खतरा मान रहा है। सभी जिलों में निरंतर अभियान चलाने का फैसला लिया है। आम लोगों से भी अपील की जा रही है कि वे अपने घर के आसपास और छत पर पड़े कबाड़ को बारिश से पहले हटा दें।
लघु उद्योग वाले क्षेत्रों में ज्यादा खतरा
प्रदेश में लघु उद्योग वाले इलाकों में डेंगू का खतरा ज्यादा है। क्योंकि इन इलाकों में कबाड़ ज्यादा रहता है। इस कबाड़ पर पिछले साल डेंगू मच्छर के अंडे मौजूद हैं। बारिश होने पर वे लार्वा बन जाएंगे। ऐसे में संबंधित क्षेत्र में एडीज मच्छरों की तादात बढ़ेगी। इससे डेंगू का प्रकोप बढ़ने की आशंका है।
बारिश से पहले कबाड़ हटवाने पर फोकस
संयुक्त निदेशक (डेंगू) डॉ. विकास सिंघल ने बताया कि लघु उद्योग वाले इलाके और आबादी के बीच खाली पड़े प्लाट में डेंगू मच्छर के अंडे रहने की संभावना होती है। भीषण गर्मी में भी अंडे नष्ट नहीं हुए हैं। ऐसे में बारिश से पहले कबाड़ हटवाने पर फोकस किया गया है। दवा छिड़काव भी हो रहा है। जहां मरीज मिल रहे हैं वहां आसपास के 50 परिवार की स्क्रीनिंग कराई जा रही है। नगर निगम, पंचायतों को पत्र लिखकर सफाई कराने की अपील की गई है। आम लोगों से भी आसपास पड़े कबाड़ तो हटाने की अपील की जा रही है।
वैरिएंट बदला तो बढ़ेगी चुनौती
केजीएमयू की माइक्रोबायोलॉजी विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शीतल वर्मा बताती है कि आमतौर पर डेंगू के चार वैरिएंट डी1, डी2, डी3 और डी4 हैं। इसमें डी2 और डी3 खतरनाक हैं। प्रदेश में अब तक ज्यादातर केस डी1 के हैं, लेकिन पिछले साल 60 फीसदी केस डी2 वैरिएंट के भी मिले थे। कुछ केस डी3 के भी थे। इसमें संक्रमण की दर भी तेज होती है। यदि समय पर इसका उपचार नहीं किया गया तो शॉक सिंड्रोम और रक्तस्त्राव होने से पीड़ित की जान भी जा सकती है। ऐसे में आमतौर पर डेंगू मरीजों में मिलने वाले वैरिएंट में बदलाव हुआ तो चुनौती बढ़ेगी। इससे निपटने के लिए आमजन को भी जिम्मेदारी समझनी होगी।
ये बरतें सावधानी
घर केआसपास और छत पर रखे कबाड़ को तत्काल हटाएं। पानी को इकट्ठा न होने दें। गमले, कूलर का पानी बदलते रहें। जहां पानी एकत्रित हो, उसमें मिट्टी का तेल या डीजल डाल दें। बुखार आने पर डॉक्टर की सलाह लें और जांच कराएं।
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