कोर्ट ने आजम खान की जमानत के साथ ही रामपुर के डीएम को दिए आदेश, नाप-जोख कराकर जमीन पर ले लें कब्‍जा, जानें पूरा मामला

मौलाना जौहर अली विश्वविद्यालय के लिए धोखाधड़ी कर शत्रु संपत्ति हड़पने के मामले में पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खान को अंतरिम जमानत देने का आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने मंगलवार शाम खुली अदालत में सुनाया।

Update: 2022-05-11 04:43 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मौलाना जौहर अली विश्वविद्यालय के लिए धोखाधड़ी कर शत्रु संपत्ति हड़पने के मामले में पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खान को अंतरिम जमानत देने का आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने मंगलवार शाम खुली अदालत में सुनाया।

आदेश पारित होने के दौरान आजम खान की ओर से अधिवक्ता इमरान उल्लाह, कमरुल हसन सिद्दीकी व सफदर काजमी और सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी, शासकीय अधिवक्ता एसके पाल, अपर शासकीय अधिवक्ता पतंजलि मिश्र व राज्य विधि अधिकारी अभिजीत मुखर्जी उपस्थित रहे। कोर्ट ने आजम खान की उम्र, उनके स्वास्थ्य और लगभग ढाई साल से जेल में बंद रहने के मद्देनजर मानवीय आधार पर उनकी जमानत मंजूर की है।
कोर्ट ने डीएम रामपुर को निर्देश दिया है कि वह विवादित 13.842 हेक्टेयर भूमि की नापजोख कराकर उस पर वास्तविक कब्जा प्राप्त करें तथा कटीले तार लगाकर उसकी बाउंड्री वाल बनाकर उसे सुरक्षित करें। कोर्ट ने यह कार्रवाई 30 जून तक पूरी कर लेने का निर्देश दिया है। उसके बाद ही आजम खान को नियमित जमानत मिल सकेगी। कोर्ट ने मौलाना जौहर अली विश्वविद्यालय के अधिकारियों से भी इस कार्य में राजस्व अधिकारियों का पूरी तरह से सहयोग करने को कहा है। उन्हें किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न न करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कस्टोडियन को निर्देश दिया है कि इस भूमि को अर्धसैनिक बलों को प्रशिक्षण कार्य के लिए उपलब्ध करा दें।
इसके अलावा कोर्ट ने आजम खान पर शर्त लगाई है कि वह रिहा होने के तत्काल बाद संबंधित अदालत में अपना पासपोर्ट जमा कर देंगे। कोर्ट ने आजम खान को निर्देश दिया है कि मुकदमे की सुनवाई के दौरान हर तारीख पर व्यक्तिगत रूप से या अपने अधिवक्ता के माध्यम से उपस्थित रहेंगे। ऐसा न करने पर ट्रायल कोर्ट उनकी जमानत निरस्त कर सकेगी। आजम खान ट्रायल शुरू होने, आरोप तय होने और बयान मुलजिम के समय व्यक्तिगत रूप से अदालत में अवश्य उपस्थित होंगे। जमानत से संबंधित अन्य सभी शर्तें भी कोर्ट में आजम खान पर लगाई हैं। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया है कि एक वर्ष के भीतर मुकदमे का ट्रायल पूरा करें।
यह है मामला
आजम खान के खिलाफ समाजसेवी अल्लामा जमीर नकवी ने वर्ष 2019 में रामपुर के अजीम नगर थाने में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराते हुए आरोप लगाया है कि आजम खान ने प्रदेश का कैबिनेट मंत्री रहते हुए अपने रसूख का फायदा उठाते हुए फर्जी दस्तावेज तैयार कर बंटवारे के बाद पाकिस्तान जा बसे बदरुद्दीन कुरैशी की 86 बीघा दो बिस्वा जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया और उसे मौलाना जौहर विश्वविद्यालय परिसर में शामिल कर लिया। जबकि शत्रु संपत्ति होने के कारण जमीन की वास्तविक कस्टोडियन भारत सरकार है।
आजम खान ने बिना किसी कानूनी प्रक्रिया और एक रुपये दिए बगैर सेंट्रल वक्फ बोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन सैयद वसीम रिजवी व अन्य सदस्यों की मिलीभगत से फर्जी दस्तावेज तैयार किए और संपत्ति को वक्फ बोर्ड के नाम दर्ज कराने के बाद मौलाना जौहर अली विश्वविद्यालय के परिसर में शामिल करा लिया। आजम खान के अधिवक्ता इमरान उल्लाह ने कोर्ट के सामने आजम खान को मानवीय आधार पर रिहा करने की अपील की।
उन्होंने कहा कि आजम 26 फरवरी 2020 से जेल में बंद है। उनकी उम्र 70 वर्ष से अधिक है और स्वास्थ्य अच्छा नहीं है। इमरान उल्लाह ने कहा कि जमीन बिना किसी टाइटल व कानूनी अधिकार के जौहर अली ट्रस्ट में शामिल की गई है लेकिन इस पर किसी प्रकार का निर्माण नहीं किया गया है।
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