सीवर चोक होने से हरी लक्ष्मी लोक बिल्डिंग गिरी तो पार्षद जिम्मेदार

Update: 2023-02-26 09:27 GMT

मेरठ: महानगर के ईव्ज चौराहा पर सीवर के चोक होने के कारण शनिवार को सड़क पर जलभराव हो गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि बीते वर्ष तत्कालीन आयुक्त ने इस सीवर की सफाई के लिये साढे सात करोड़ रुपये पास किये थे, लेकिन सत्ताधारी पार्टी के दो सभासदों ने इस सीवर की सफाई के कार्य में अडंगा लगा दिया। जिसके बाद कोर्ट में मामला जा पहुंचा और सीवर के चोक होने से पुरानी बिल्डिंगों को खतरा पैदा हो गया है, यदि कोई भवन गिरता है तो उन सभासदों की सीधी जिम्मेदारी होगी।

महानगर में कई जगहों पर जहां एक तरफ नाले एवं नाली चोक होने की समस्या पैदा हो गई हैं, वहीं ईव्ज चौराहा पर सीवर के चोक होने से पुराने भवनों को भी खतरा पैदा हो गया हैं। सुधांशु महाराज के साथ ही स्थानीय लोगों का कहना है कि बीते वर्ष तत्कालीन आयुक्त ने इस सीवर की सफाई के लिये करीब साढेÞ सात करोड़ रुपये स्वीकृत भी किये थे।

उनके वार्ड से हटकर दो सत्ताधारी पार्टी के ही सभासदों ने दूसरी जगह नये सीवर का निर्माण कराने का अडंगा लगाकर सीवर की साफ-सफाई के कार्य को अधर में लटका दिया। सीवर कभी भी चोक होने के कारण दूषित पानी सड़कों पर जलभराव के रूप में जमा हो जाता है। इसमें शनिवार को भी सीवर के चोक होने पर दूषित पानी सड़क पर जलभराव के रूप में जमा हो गया।

जिसको लेकर सुधांशु महाराज स्थानीय लोगों का कहना है कि उनके वार्ड के लोगों के साथ महानगर के लोगों के अथक प्रयास से नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त मनीष बंसल के द्वारा सीवर की सफाई के लिये बीते वर्ष करीब साढेÞ सात करोड़ रुपये स्वीकृत कर पास किये थे, लेकिन सत्ताधारी पार्टी से जुड़े दो सभासदों ने जोकि उनके वार्ड के भी नहीं हैं,

इस सीवर की सफाई की जगह दूसरा अन्य सीवर निर्माण की बात का अडंगा लगाकर सीवर की सफाई नहीं होने दी। सुधांशु महाराज का कहना है कि करीब 20 वर्षों से इस सीवर की सफाई नहीं हुई ओर सीवर का पानी पुरानी बिल्डिंगों की नींव में भर रहा है। जिसमें किसी भी समय बड़ा हादसा हो सकता है। जिसमें इसकी जद में सबसे ज्यादा ईव्ज चौराहा स्थित हरी लक्ष्मी लोक की बिल्डिंग आ सकती है

और किसी भी समय बड़ा हादसा होने से इंकार नहीं किया जा सकता। यदि इस तरह का हादसा होता है तो उसके लिये सीधे-सीधे सत्ताधारी पार्टी के वहीं दोनो सभासद जिम्मेदार होंगे। जिन्होने साढेÞ सात करोड़ रुपये स्वीकृत होने के बाद भी बंद सीवर की सफाई नहीं होने दी। उन्होंने बताया कि व्यापारी और सभासदों के बीच का यह विवाद अब कोर्ट तक भी जा पहुंचा है, लेकिन समस्या का समाधान अभी तक नहीं हो सका है।

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