नगर निगम में उजागर हो रहे भ्रष्टाचार, फिर कार्रवाई क्यों नहीं

Update: 2023-03-01 12:18 GMT

मेरठ न्यूज़: नगर निगम के निर्माण अनुभाग में सर्वाधिक भ्रष्टाचार हैं। नहीं इस अनुभाग में पटल परिवर्तन हुआ। कई-कई सालों से क्लर्क जमे हुए हैं। इससे पहले 600 मीटर सड़क निर्माण का मामला पहले ही सामने आ चुका हैं, जिसमें बनाई गयी थी 300 मीटर और भुगतान के लिए फाइल लगा दी थी 600 मीटर की। इसकी फाइल खुली तो पूरा फर्जीवाड़ा सामने आ गया था। इस तरह से ये भ्रष्टाचार खुल गया था। इसमें दो जेई निलंबित हो चुके हैं।

एक्सईएन स्तर के अधिकारियों पर भी कार्रवाई के लिए लिखा गया हैं, लेकिन नगरायुक्त अमित पाल शर्मा भी इन भ्रष्ट इंजीनियरों पर खास मेहरबान बने हुए हैं, जिसके चलते भ्रष्ट इंजीनियरों को चार्ज से नहीं हटाया गया हैं। भ्रष्टाचार में लिप्त महत्वपूर्ण चार्ज वर्तमान में भी इंजीनियरों को दिये गए हैं। इससे पहले झूला घोटाला हो चुका हैं, जिसमें एक्सईएन समेत कई अफसरों पर कार्रवाई शासन स्तर से की गई थी। नगर निगम में सड़कों के निर्माण के मामले में कमीशनखोरी चल रही हैं, इसके आरोप पार्षद भी लगा रहे हैं।

अब कहा जा रहा है कि दीपेश के आत्महत्या करने की वजह भी कमीशनखोरी ही बताया जा रहा हैं, जिसकी जांच पड़ताल पुलिस यदि ईमानदारी से करती है तो इसमें भ्रष्टाचार खुल जाएगा। तमाम सड़कों के निर्माण हुए, लेकिन सड़कों का निर्माण करने वाले ठेकेदारों का भुगतान आखिर क्यों रोका जा रहा हैं? जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टोलरेंस नीति लागू हैं,

फिर सरकारी सिस्टम किस बात का कमीशन ले रहा हैं? अधिकारियों के भ्रष्टाचार की वजह से भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि को धूमिल कर रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हाल ही में विधानसभा में भी कह चुके हैं कि जीरो टोलरेंस नीति पर काम चल रहा हैं, इसमें सरकारी सिस्टम कहीं गड़बड़ी करता है तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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