धर्मांतरण रैकेट: टेरर एंगल सामने आने पर एजेंसियां अलर्ट, ATS ने यहां मारा छापा
धर्मांतरण के मामले में पकड़े गए उमर गौतम के अल हसन एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी से कनेक्शन सामने आया है. मलिहाबाद में एटीएस ने अल हसन सोसाइटी के ठिकाने पर छापेमारी की. लेकिन संस्था की वेबसाइट पर किए गए दावे ग्राउंड पर फर्जी निकले. उधर. इस मामले में टेरर एंगल भी सामने आया है. एजेंसियों को धर्मांतरण रैकेट के आतंकी संगठनों से जुड़े होने के प्रमाण मिले हैं.
आरोपी उमर गौतम जिस अल हसन एजुकेशनल सोसायटी से जुड़ा है. उसकी वेबसाइट पर लिखा है कि सोसाइटी हरदोई के रसूलपुर आंठ गांव में गर्ल्स स्कूल चलाती. और लखनऊ के मलिहाबाद में एक से दसवीं तक का सीबीएसई स्कूल चलाती है. लखनऊ के स्कूल में 500 बच्चों के लिए हॉस्टल की सुविधा भी मुफ्त है. लेकिन जब एटीएस की टीम ने वहां छापेमारी की तो ये सारी बातें झूठ पाई गईं.
ग्राउंड रिपोर्ट में हरदोई के रसूलपुर गांव में अल हसन सोसाइटी का कोई भी स्कूल संचालित नहीं मिला. लखनऊ के मलिहाबाद में अल हरम एकेडमी मिली. जहां पर मदरसा चलता है. इसके अलावा ना कोई सीबीएसई स्कूल मिला और ना ही 500 बच्चों के लिए कोई हॉस्टल.
टेरर एंगल के प्रमाण
इस रैकेटी की जांच में जुटी एजेंसियों को अब टेरर एंगल भी मिल गया है. एजेंसियों को धर्मांतरण रैकेट के आतंकी संगठनों से जुड़े होने के प्रमाण मिले हैं. एजेंसियों को विदेशी फंडिंग और टेरर फंडिंग के सबूत भी हाथ लगे हैं. धर्म परिवर्तन के बाद मूक बधिर बच्चों का जेहादी गतिविधियों में इस्तेमाल किए जाने की बात भी सामने आई है. इस रैकेट के देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के प्रमाण भी सामने आए हैं.
धर्मांतरण का मास्टरमाइंड श्याम सिंह उर्फ उमर गौतम देश के 24 राज्यों और केंद्रशासित राज्यों में कई लोगों का धर्मांतरण करा चुका है. इस बात के सबूत एजेसियों को मिले हैं. गौतम ने हिंदू ही नहीं ईसाई, जैन और सिख परिवारों के बच्चों का भी बड़ी संख्या में धर्मांतरण कराया है. खासतौर पर मूक बधिर बच्चे इनके निशाने पर होते थे. इन बच्चों को अलग तकनीक से पढ़ाने के लिए इस गिरोह ने अपने टीचर प्लांट कर रखे थे. ये टीचर ही धर्मांतरण की बुनियाद रखते थे.
जाकिर नाइक से कनेक्शन
सूत्रों के मुताबिक धर्मांतरण मामले में उमर गौतम का संबंध ज़ाकिर नाइक की संस्था के लोगों से भी था. गौतम ज़ाकिर नाइक की संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन के कारिंदों के सम्पर्क में भी था. इस फाउंडेशन से जुड़े एडवोकेट फैज सैयद के साथ उमर गौतम के संबंध थे. सूत्रों के मुताबिक ज़ाकिर नाइक की संस्था आईआरएफ बैन होने से पहले इस रैकेट को फंडिंग करती रही है. इसी तरह से उमर गौतम इस्लामिक यूथ फेडरेशन के कई लोगों से सम्पर्क में था.
आईएसआई से कनेक्शन
धर्मांतरण के रैकेट के तार पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई जुड़ता देख यूपी एटीएस टेरर एंगल पर भी जांच कर रही है. एक आंतकी संगठन को लेकर यूपी एटीएस ने खुफिया एजेन्सियों से संपर्क साधा है. दरअसल, इस आंतकी संगठन ने अप्रैल में पाकिस्तान में एक खास मिशन तैयार किया था. इसका मकसद धार्मिक उन्माद फैलाने के साथ-साथ कट्टरता को बढ़ावा देना भी था. इसके लिए बाकायदा प्लानिंग की गई थी और इसकी शुरुआत डासना मंदिर से ही होनी थी, लेकिन इस मिशन की जानकरी सुरक्षा एजेन्सियों को मिल गई और ये मिशन कामयाब नहीं हुआ.
इसके कुछ बाद ही विपुल विजयवर्गी और कासिफ अपना नाम बदलकर मंदिर में दाखिल होने की कवायद कर रहे थे. जिसके बाद इन्हें पकड़ा गया. इनके पास से 6 ब्लेड और कुछ संदिग्ध सामान मिला था. इनसे पूछताछ के बाद ही धर्मांतरण रैकेट का पर्दाफाश हुआ था. सूत्रों की मानें तो इसी वजह से यूपी एटीएस ने खुफिया एजेन्सियों से सम्पर्क साधा है. अब ये पता लगाने की कवायद की जा रही है कि कहीं इस रैकेट के तार आंतकी संगठन से तो नहीं जुड़े हैं.
यूपी एटीएस ने खुफिया एजेन्सियों से आंतकी संगठन के एक गुर्गे के लोकेशन डिटेल भी मांगी है. बाताया ये जा रहा है कि आबिद नाम के इस आंतकी को ही मिशन डासना की जिम्मेदारी दी गई थी. उसकी आखिरी लोकेशन पुलवामा के आस-पास की मिली थी. इसके चलते नोएडा डेफ सोसायटी के स्टाफ और कर्मचारियों का कश्मीरी कनेक्शन भी खंगाला जा रहा है.
इस रैकेट का खुलासा होने के बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद इस मामले की जांच की निगरानी कर रहे हैं. सीएम योगी ने एजेंसियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि देश की सुरक्षा और आस्था के खिलाफ साजिश करने वालों से सख्ती से निपटा जाए.