मेरठ क्राइम न्यूज़: जान का दुश्मन बन गया चाइनीज मांझा रोज लोगों को शिकार बना रहा है, लेकिन पुलिस और प्रशासन का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है। दो दिन में एक युवक और बच्चे की जान इस मांझे के कारण जाने से बची है, लेकिन संबंधित थाना पुलिस को इससे कोई लेना देना नहीं है।
हैरानी की बात यह है कि गत वर्ष सिटी मजिस्ट्रेट ने एक बार छापा मारा था तब से लेकर अब तक चाइनीज मांझा बेधड़क बिक रहा है। दरअसल मांझा बेचने वालों की पुलिस की फैंटम से सेटिंग होने के कारण इनको रंगेहाथ पकड़ना चुनौती भी है।
चाइनीज मांझे की बिक्री पर प्रतिबंध है, लेकिन उसके बाद भी शहर में चाइनीज मांझा बेचा रहा है। सवाल यह है कि पुलिस प्रशासन को भनक तक नहीं लगती है। यदि प्रशासन अभियान चलाता तो लगातार दो दिन तक लोगों की जान खतरे में न पड़ती, लेकिन पूरे मामले में सरकारी तंत्र सवालों के घेरे में है। गत वर्ष टीपीनगर थाना क्षेत्र के सरस्वती विहार कॉलोनी के रहने वाले निर्मल (42) पुत्र ओमप्रकाश राज मिस्त्री अपनी स्कूटी पर सवार होकर अपने घर लौट रहा था।
रोहटा रोड स्थित जवाहर नगर के पास पहुंचते ही निर्मल चाइनीज मांझे की चपेट में आ गया। जिस कारण उसकी गर्दन बुरी तरह कट गई। स्कूटी सवार खून से लथपथ हालत में सड़क पर गिर गया। गले में चाइनीज मांझा उलझा हुआ था। कंकरखेड़ा पुलिस खून से लथपथ हालत में घायल निर्मल को जेपी अस्पताल में लेकर पहुंची। जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
इस घटना के बीस दिन के अंदर मोदीपुरम क्षेत्र में रुड़की रोड पर 23 सितंबर को मुजफ्फरनगर के खतौली के रसूलपुर निवासी अजय की चाइनीज मांझे की चपेट में आने से मौत हो गई थी। शास्त्रीनगर रामापुरम निवासी मनीष कुमार (24) दोस्त अमन के साथ बाइक पर तेजगढ़ी जा रहे था। बाइक मनीष कुमार चला रहे थे। उन्होंने हेलमेट पहन रखा था। कुटी चौराहे के पास वह चाइनीज मांझे की चपेट में आ गया।
मांझा उसकी गर्दन को रेतता हुआ चला गया। कुछ ही पल में मनीष खून से लथपथ होकर जमीन पर गिर पड़े। बाइक पर पीछे बैठे अमन ने उसे आनंद अस्पताल में भर्ती कराया। उसकी गर्दन में पचास टांके लगे। मांझे से दर्जनों बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन अभी तक प्रशासन की तरफ से गोलाकुंआ, खैरनगर, कंकरखेड़ा, नौचंदी क्षेत्र में पतंग विक्रेताओं के यहां जांच पड़ताल तक नहीं हुई।