बांदा: उत्तर प्रदेश सरकार परिषदीय विद्यालयों को आधुनिक सुविधाएं मुहैया कराकर हाईटेक बनाने की कोशिश कर रही है। वहीं दूसरी तरफ विभाग की लापरवाही से शिक्षण कार्य की दयनीय स्थिति बनी हुई है। इसका खुलासा शुक्रवार को तब हुआ जब जिला अधिकारी अनुराग पटेल ने एक साथ 40 विद्यालयों का निरीक्षण किया और कुछ विद्यालयों में अध्यापक बन कर बच्चों को पढ़ाया भी। बिना किताबों के पढ़ रहे बच्चों से जब उन्होंने सवाल किए तो बच्चे अगल बगल एक दूसरे का मुंह ताकने लगे और सवालों का जवाब नहीं दे पाए। इससे नाराज होकर डीएम ने दो प्रधानाध्यापक 4 शिक्षकों सहित 12 अनुदेशक व शिक्षामित्रों का वेतन रोकने का आदेश जारी कर दिया।
परिषदीय विद्यालयों में नए शिक्षा सत्र की शुरुआत हो चुकी है, लेकिन अभी तक बच्चों के पास किताबें नहीं पहुंची हैं। शासन बच्चों को निशुल्क पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध करा रहा है, लेकिन विभागीय लचर व्यवस्था के चलते अभी तक बच्चों को किताबें नहीं मिल पाए हैं। इससे बच्चे बिना किताब के ही स्कूल पहुंचते हैं और कुछ घंटे स्कूल में खेलकूद कर वापस लौट आते हैं। जिलाधिकारी ने शुक्रवार को अचानक जिले के जसपुरा ब्लॉक के 40 विद्यालयों का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान सभी स्कूलों की शिक्षा की स्थिति बेहद खराब मिली।
दो घंटे डीएम ने बच्चों को पढ़ाया
उच्च प्राथमिक विद्यालय चौकीपुरवा में कक्षा-5 के बच्चों को डीएम ने दो घंटे पढ़ाया। बच्चे 17 और 19 का पहाड़ा नहीं सुना पाए। हिंदी पुस्तक की कविता 'जो तेरी हो दया दया निधि' के लाइन को लिखवाया गया, बच्चे उसे नहीं लिख सके। इतना ही नहीं राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री समेत जनपद में प्रवाहित होने वाली नदियों के नाम भी नहीं बता सके। अपनी तहसील का नाम भी नहीं बता सके।
कई अध्यापकों का वेतन रोक दिया
डीएम ने जिम्मेदार दो प्रधानाध्यापकों व चार शिक्षकों सहित 12 अनुदेशक और शिक्षामित्रों का वेतन रोक दिया। कक्षा-सात के बच्चों से हिंदी पुस्तक की कविता सुनी, पर वह मुंह ताकते रहे। इस बारे में जसपुरा ब्लॉक में प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष राजवीर सिंह ने बताया कि इस ब्लॉक में अभी परिषदीय विद्यालयों में निशुल्क पाठ्य पुस्तक उपलब्ध नहीं हो पाई है। इस वजह से बच्चे बिना किताबों के ही पढ़ने को मजबूर हैं। विभाग से कहा जा रहा है कि टेंडर प्रक्रिया चल रही है, इसके बाद ही पुस्तकें उपलब्ध कराई जाएंगी।