बेटियों का भी बदला मूड, अब बीए और बीकॉम नहीं आ रहा रास

Update: 2023-07-31 06:46 GMT

मुरादाबाद न्यूज़: कुछ साल पहले तक बीए, बीएससी और बी.कॉम में एडमिशन के लिए जोर देने वाली बेटियों का मूड अब बदला हुआ है. समय की मांग के अनुसार पढ़ाई और प्रोफेशनल कोर्सों की ओर बेटियों ने कदम बढ़ा दिए हैं.

पिछले कुछ सालों में कॉलेजों में बेटियों के दाखिला लेने के सिलसिले में थोड़ी गिरावट देखने को मिल रही है. फिलहाल, मुरादाबाद के पांच कॉलेजों में सीट जितने आवेदन भी नहीं आए. लिहाजा कॉलेजों को आवेदन की तिथि बढ़ानी पड़ी. दूसरी ओर टेक्निकल और पैरामेडिकल कोर्सेज की ओर बेटियों का बंपर रुझान देखने को है. अगर तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी की बात करें तो यहां पिछले तीन सालों में टेक्निकल कोर्सेज और पैरामेडिकल कोर्सेज में बेटियों की संख्या बढ़ी है. 2021 में 39 फीसद बेटियां, 2022 में 37 फीसद बेटियों ने दाखिला लिया. वर्तमान सत्र 2023 में अभी तक 35 फीसद बेटियों ने दाखिला लिया है और अभी एडमिशन चल रहे हैं. वहीं टीएमयू में पैरामेडिकल कोर्सेज में 80 फीसद बेटियों ने दाखिला लिया है. एमआईटी में बीटेक व बीफार्मा जैसे कोर्सों में बेटियों का दबदबा है . यहां पर 2018 में मात्र 19 प्रतिशत बेटियां थीं. बाद में 2019 मंल थोड़ी वृद्धि तो प्रतिशत 19.9 तक पहुंच गया. 2020 में कोरोना काल में संख्या थोड़ी गिरी तो बेटियां 17.8 फीसद रहीं. लेकिन इसके बाद 2021 में 19.6 फीसद बेटियों ने दाखिला किया. वहीं 2022 में इनका प्रतिशत 25 तक पहुंच गया. वर्तमान सत्र में कॉलेज में दाखिला लिए बच्चों में बेटियां का प्रतिशत 26.6 है अभी दाखिले चल ही रहे हैं. दूसरी ओर शहर के पांच कॉलेजों को दाखिला को बच्चों का इंतजार है. हिंदू कॉलेज व गोकुलदास कॉलेज में कुछ संकायों की कई सीटें तो भर जाती हैं पर कुछ संकाय में उतनी सीटें नहीं भर पाती हैं.

प्रोफेशनल कोर्सों में भी बढ़ रहा बेटियों का वर्चस्व,शहर के पांचों कॉलेजों में सीट जितने भी आवेदन नहीं, प्रतिवर्ष तकनीकी कोर्सों की तरफ बढ़ता दिख रहा रुझान

लड़कियों की संख्या में थोड़ी गिरावट आई है लेकिन लड़कों के अनुपात में आज भी उनकी संख्या ज्यादा है. बच्चों का प्रोफेशनल कोर्सेज की ओर रुझान बढ़ा है. हमारे यहां बेटियों की संख्या स्थिर है. अभी दाखिले चल रहे हैं. कुछ दिन बाद आंकड़ों से बता पाना आसान होगा.

प्रो. एसएस रावत, प्राचार्य, हिंदू कॉलेज

ज्यादातर बच्चे सिविल सर्विसेज की तैयारी को देख बीए, बीकॉम व बीएसएसी में दाखिला लेते हैं. हमारे यहां पिछले दो-तीन वर्षों में छात्राओं की संख्या स्थिर है. अधिक सीटें होने से बीए की पूरी सीटें नहीं भर पाती हैं. कॉलेज में कॉमर्स व उर्दू की पढ़ाई होने से उम्मीद संख्या बढ़ेगी. प्रो. चारू मेहरोत्रा, प्राचार्य, गोकुलदास कॉलेज

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