केंद्र सरकार इसी माह से लागू करेंगी अस्पतालों के लिए ग्रेडिंग सिस्टम, अलग शहर में अलग होंगे इलाज और जांच के रेट

अब जैसा शहर होगा, उसी के स्तर के अनुरूप इलाज और जांचों के रेट भी होंगे यानि लखनऊ और गाजीपुर में इलाज या स्वास्थ्य संबंधी टेस्टिंग की दरें एक समान नहीं होंगी।

Update: 2022-07-16 05:23 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।  अब जैसा शहर होगा, उसी के स्तर के अनुरूप इलाज और जांचों के रेट भी होंगे यानि लखनऊ और गाजीपुर में इलाज या स्वास्थ्य संबंधी टेस्टिंग की दरें एक समान नहीं होंगी। आयुष्मान भारत योजना में केंद्र सरकार इसी माह से ग्रेडिंग सिस्टम लागू कर सकती है। इसमें टीयर-1, टीयर-2 या 3 श्रेणियों के शहरों के लिए अलग-अलग रेट होंगे। महंगाई और बड़े अस्पतालों को योजना से जोड़ने के लिए दरें भी नये सिरे से संशोधित की जा रही हैं।

केंद्र सरकार ने 2018 में गरीबी की रेखा से नीचे जीने वालों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने को आयुष्मान योजना शुरू की थी। यूपी की बात करें तो करीब दो करोड़ लोग इस योजना का हिस्सा हैं। इस योजना में हर साल सरकारी या निजी अस्पतालों में पांच लाख रुपये तक इलाज का खर्चा सरकार उठाती है। अभी तक इस योजना में इलाज और स्वास्थ्य जांचों की दरें समान हैं जबकि छोटे शहरों की तुलना में लखनऊ, दिल्ली या अन्य बड़े शहरों में इलाज महंगा है। इसका नतीजा यह है कि तमाम बड़े निजी अस्पताल इस योजना में शामिल ही नहीं हुए। जो शामिल हुए, वो भी लगातार दरें बढ़ाने की मांग उठाते रहे हैं। इनमें लखनऊ का एसजीपीजीआई भी शामिल है।
वहीं हाल ही में लखनऊ के राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में हेल्थकेयर की कीमत देनी पड़ेगी। सरकार ने 9 जुलाई से पंजीकरण शुल्क से लेकर विभिन्न टेस्ट और प्रक्रियाओं तक के शुल्क को दोगुना कर दिया है। इलाज के लिए आरएमएलआईएमएस के अस्पताल ब्लॉक में आने वाले मरीजों को ओपीडी पंजीकरण शुल्क के रूप में 100 रुपये का भुगतान करना होगा। इसके अलावा यहां आने वाले मरीजों के लिए जो जांच और प्रक्रियाएं फ्री थीं, उनसे अब शुल्क लिया जाएगा।
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