मथुरा न्यूज़: मथुरा-वृंदावन नगरनिगम चुनाव में पिछली बार भी भाजपा का बहुमत था और इस बार भी भाजपा का ही बहुमत रहा. मजेदार बात यह है कि पहले भी निर्दलीय प्रत्याशियों की संख्या दूसरे पायदान पर थी और इस बार भी भाजपा के बाद सबसे बड़ी संख्या निर्दलियों की ही है. पहले भी मेयर भाजपा का था और इस बार भी है. अब देखना है कि ट्रिपल इंजन की सरकार अब विकास कार्यों को किस तरह गति देगी.
नगरनिगम मथुरा वृंदावन का गठन होने के बाद सबसे पहले 2017 में चुनाव हुए थे. इसमें भाजपा ने मेयर सीट तो जीती ही थी, साथ ही 41 पार्षद भी भाजपा के सदन में थे. उस समय करीब 17 पार्षद निर्दलीय जीते थे, जिनमें से कई पार्षद बाद में भाजपा में शामिल हो गए थे. इससे भाजपा की नगरनिगम सदन में स्थिति बहुत मजबूत हो गई थी. भाजपा पार्षदों की ओर से प्रस्तुत किए गए सभी प्रस्ताव विगत पांच साल में स्वीकृत होकर क्रियान्वित हुए. इस बार भी नगरनिगम के सदन की तस्वीर ज्यादा जुदा नहीं होगी. इस बार मेयर सीट भी भाजपा ने ही जीती है और 37 पार्षद भाजपा के जीते हैं, जबकि 16 पार्षद निर्दलीय जीते हैं. हालांकि पिछली बार की तुलना में भाजपा के जीते हुए पार्षदों की संख्या 4 कम है, लेकिन इससे ज्यादा फर्क निगम के सदन पर नहीं पड़ेगा. विपक्षी राजनैतिक पार्टियों की ओर देखें तो 5 पार्षद बसपा के, 6 पार्षद कांग्रेस के और 2-2 पार्षद रालोद, सपा और आजाद समाज पार्टी के जीते हैं.
यानि सदन में बहुमत को लेकर भाजपा के सामने कोई समस्या नहीं है और शहरी विकास को लेकर सरकारी तंत्र के साथ समन्वय बनाने में भी कोई समस्या नहीं होनी चाहिए.