लोकसभा चुनाव-2024 में प्रदेश की सभी 80 सीटें जीतने की मुहिम में भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। 2019 के चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक स गठबंधन (राजग) ने प्रदेश में 64 सीटें जीती थीं, 16 सीटें विपक्ष के हिस्से में थीं।
भाजपा इस बार इन सीटों को गठबंधन के सहयोगियों अपना दल, सुभासपा और निषाद पार्टी के हिस्से में देना चाहती है, लेकिन उससे पहले इन इलाकों में उनके राजनीतिक हैसियत का आंकलन भी करेगी।
मिशन 80 के तहत भाजपा हारी हुई सीटों पर पिछले दो साल से मंथन कर रही है। भाजपा के स्थानीय रणनीतिकारों का मानना है कि अपना दल (एस) को उनकी मौजूदा मिर्जापुर और रॉबर्टसगंज सीट मिलना लगभग तय है।
यदि इससे अधिक सीटें देने पर निर्णय हुआ तो वर्तमान में पूर्वांचल में हारी हुई एक-दो सीटें उन्हें और मिल सकती हैं। सुभासपा को घोसी, जौनपुर या गाजीपुर में से दो सीटें मिल सकती हैं। वहीं, निषाद पार्टी को संतकबीरनगर, लालगंज या श्रावस्ती में से कोई दो सीटें मिल सकती है।
पिछली बार संतकबीरनगर से निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद भाजपा के टिकट पर जीते थे। पार्टी के नेताओं का मानना है कि हारी हुई सीटें सहयोगी दलों को देने से पार्टी के पास जोखिम कम रहेगा। साथ ही सहयोगी दलों के सामाजिक समीकरण से पिछड़े वर्ग में भाजपा की स्थिति और भी मजबूत होगी।
विधानसभा चुनाव में निषाद पार्टी ने दिखाया था दम
विधानसभा चुनाव-2022 में निषाद पार्टी को 15 सीटें मिली थीं। इनमें से पांच सीटों पर निषाद पार्टी के कार्यकर्ताओं को भाजपा के चुनाव चिह्न पर लड़ाया गया था। शेष 10 में से 7 सीटें वह थीं, जहां 2017 के विस चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। निषाद पार्टी ने इनमें से छह सीटें जीतीं थीं।
वर्ष 2019 का गणित
पिछले लोकसभा चुनाव में राजग को प्रदेश की 80 में से 64 सीटों पर जीत मिली थी। बसपा ने 10, सपा ने पांच और कांग्रेस ने एक सीट पर चुनाव जीता था। भाजपा ने 2022 में रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में दोनों सीटें सपा से छीन ली। अब संभल, मैनपुरी और मुरादाबाद सपा के पास हैं। बिजनौर, घोसी, गाजीपुर, जौनपुर, सहारनपुर, अमरोहा, लालगंज, श्रावस्ती, अंबेडकरनगर और नगीना में बसपा का कब्जा है। कांग्रेस के पास मात्र रायबरेली सीट है।