बिजनौर: खनन पर पाबंदी से लटका फोरलेन निर्माण

Update: 2022-08-11 16:34 GMT

ब्रेकिंग न्यूज़: बिजनौर। उत्तराखंड में चल रही खनन पर पाबंदी से फोरलेन हाईवे का निर्माण अधर में लटक गया है। 20 किमी की दूरी में फिलहाल हाईवे निर्माण का काम बंद है। दरअसल, रेत-बजरी नहीं मिलने की वजह से निर्माण को रोकना पड़ा है। पिछले चार महीनों से बंद हुआ काम अभी तक चालू नहीं हो पाया है। दो बड़े पुलों को भी अप्रोच रोड से नहीं जोड़ा जा सका है।

हरिद्वार से काशीपुर तक नेशनल हाईवे 74 को फोरलेन किया जाना था। दो हजार करोड़ रुपये की लागत से होने वाले इस निर्माण को दो हिस्सों में बांटा गया। हरिद्वार से नगीना और नगीना से काशीपुर, खैर नगीना से काशीपुर तक हाईवे का निर्माण करीब दो साल पहले ही पूरा कर लिया गया था। जिस पर पुरैनी में टोल भी वसूला जा रहा है। उधर, हरिद्वार से नगीना तक हाईवे को फोरलेन किया जाना था, लेकिन यह शुरू से ही विवादों में घिरा रहा। दोनों हिस्सों को बनाने के लिए अलग अलग कंपनियों को ठेका दिया। हरिद्वार से नगीना तक निर्माण करने वाली पहली कंपनी भाग खड़ी हुई थी और निर्माण बीच में छोड़ दिया था। अब दूसरी कंपनी निर्माण कर रही है। हालांकि करीब पचास किलोमीटर की दूरी का निर्माण हो चुका है। कई पुल भी लगभग पूरे हैं। अब उत्तराखंड में खनन पर पाबंदी लगी है। जिसका असर हाईवे के निर्माण पर भी पड़ गया। उत्तराखंड की सीमा में करीब 13 किमी और बिजनौर की सीमा में सात किमी हाईवे नहीं बन पाया। हाईवे प्राधिकरण के अधिकारियों ने उत्तराखंड सरकार से भी गुहार लगाई, फिर भी कोई हल नहीं निकला। अब पूरी तरह से हाईवे का निर्माण बंद पड़ा हुआ है। उत्तराखंड में खनन चालू होते ही निर्माण सामग्री मिलने की उम्मीद है। मामले में नेशनल हाईवे के चेयरमैन भी हस्तक्षेप कर चुके हैं।

एनओसी की वजह से भी हुई देरी जिस वक्त उत्तराखंड में खनन सामग्री मिल रही थी, उस वक्त वन विभाग की आपत्ति आड़े आ गई। पहले तो वन विभाग ने करोड़ों रुपये का मुआवजा मांगा, बाद में किसी तरह से बात बनी। इसके बाद वन्य जीवों की सुरक्षा का मुद्दा खड़ा हो गया। जिस पर हाईवे प्राधिकरण ने हाईवे के नीचे से हाथी कॉरिडोर बनाने की हामी भरी। तमाम अड़चनों को पार करते हुए हाईवे निर्माण की बारी आई तो बरसात लग गई, साथ ही उत्तराखंड में खनन पर पाबंदी। उत्तराखंड में खनन पर रोक की वजह से खनन सामग्री नहीं मिल रही है। जिसके कारण हाईवे का निर्माण बंद है। दो बड़े पुलों के पहुंच मार्ग भी नहीं बन पाए जबकि पुल बनकर तैयार है। निर्माण के लिए बिजनौर से खनन सामग्री ले जाते हैं तो उत्तराखंड की सीमा में पहुंचे ही खनन सामग्री के वाहन सीज कर दिए जाएंगे। अब उत्तराखंड सरकार ही मामला निर्भर करता है - बीपी पाठक, परियोजना निदेशक, एनएचएआई

Tags:    

Similar News

-->