मेरठ: 16 साल पहले वुशू में प्रवेश करने वाले भूपेन्द्र सिंह बाजवा ने अपने अध्यक्ष पद के कार्यकाल में वुशू को बुलंदियों पर पहुंचा दिया है। शनिवार का दिन वुशू परिवार के लिये दोहरी खुशी लेकर आया। भूपेन्द्र सिंह बाजवा को प्रतिष्ठित भारतीय ओलंपिक संघ की कार्यकारी परिषद का सदस्य चुना गया वहीं वुशू जूनियर वर्ल्ड कप में पहली बार भारत को आठ पदक मिले हैं। वुशू परिवार में इस वक्त खुशियां छाई हुई हैं। हर कोई दोहरी सफलता से गदगद है। अध्यक्ष को बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।
वुशू को 2006 से पहले थोड़े बहुत लोग ही जानते थे, इनमें आम लोगों की संख्या न के बराबर थी। उद्योगपति भूपेन्द्र सिंह बाजवा ने जब 2006 में वुशू के खेल में रुचि दिखानी शुरु की तो इस खेल के दिन भी बदलने लगे। 2011 में भारतीय वुशू संघ के अध्यक्ष बनने के बाद जिस तरह से वुशू को स्कूलों तक में प्रवेश कराया गया वो संघ की एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। आईओए ने भी वुशू को प्रमोट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
मृदभाषी और अनुशासित प्रशासक के रुप में बाजवा ने पूरे सिस्टम को गति देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यही कारण है कि वुशू आज भारत का विदेशों में पदक जीतने वाले खेलो में अग्रणी बनता जा रहा है। सीनियर हो या जूनियर चैम्पियनशिप खिलाड़ियों ने विदेशों में देश का झंडा हमेशा ऊंचा रखा है। भारतीय वुशू संघ के अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह बाजवा का कहना है कि वुशू आज बुलंदियों पर है और पूरी दुनिया हमारे देश के खिलाड़ियों का लोहा मानती है। जिस तरह से वर्ल्ड चैम्पियनशिप हो या एशियन खेल हो हमारे खिलाड़ियों ने उम्मीद से अधिक प्रदर्शन कर देश के लिये पदक बटोरे हैं।
उन्होंने बताया कि खेलो इंडिया के तहत जिस तरह से जोन स्तर पर खेल आयोजित किये गए उसको देखकर युवाओं खासकर बच्चों में इस खेल के प्रति उत्साह जगा है। आईओए के कार्यकारी परिषद का सदस्य चुने जाने पर उन्होंने वुशू संघ के सभी सदस्यों, कोचों, खिलाड़ियों और अपने परिचितों को तहेदिल से आभार व्यक्त किया है और उनको कहना था कि टीम भावना के कारण ही सफलता मिली है।