जीव को जगत और माया का वास्तविक बोध कराते हुए ब्रह्म से मिलाने की चर्चा है Bhagwat Katha

Update: 2024-10-10 13:03 GMT
Kushinagar राजापाकड़/कुशीनगर: श्रीमद् भागवत कथा जीव को जगत और माया का वास्तविक बोध कराते हुए ब्रह्म से मिलाने की चर्चा है। इस कथा के सुनने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति, कल्पवृक्ष के समान सभी इच्छाओं की पूर्ति, आध्यात्मिक विकास होता है और भगवान के प्रति भक्ति बढ़ती है।
यह बातें श्रीधाम वृंदावन व बागेश्वर धाम के सेवक आचार्य पं. रोहित रिछारिया ने कही। वह दुदही विकास खंड के ग्राम पंचायत दुमही के राजस्व गांव बंगरा रामबक्स राय में शारदीय नवरात्र के अवसर पर आयोजित सप्त दिवसीय संगीतमयी श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन बुधवार की सायं श्रोताओं को सुदामा चरित्र की कथा सुना रहे थे।
उन्होंने कहा कि शास्त्र सम्मत आचरण करते हुए इंद्रियों व कामनाओं के दमन से जीवात्मा सुदामा बन जाता है। तब बुद्धि सुशीला बन जाती है और जीवात्मा को भगवान की ओर प्रेरित करतीं है। कथावाचक ने कहा कि उपासना कांड के वेद मंत्र ही 16000 राजकुमारियां बनीं। 100 स्वर्ण सीता व आठ अष्टधा प्रकृति थीं। इनसे भगवान का विवाह संपन्न हुआ। गायक राहुल परिहार, तबला वादक इंदल शर्मा व बैंजो पर अजयदास ने संगत की। आचार्य पं. अजीत शास्त्री के नेतृत्व में पुरोहितगण पं. अनिल कौशिक व शिवसेवक दास ने मूल परायण पाठ किया। इस दौरान आयोजक शत्रुघ्न उर्फ डिंपल शुक्ल, पं. रामअवध शुक्ल, रामकिशोर शुक्ल, सत्येंद्र उर्फ गुड्डू शुक्ल, कृष्णा शुक्ल, वीरेंद्र शुक्ल, नन्हे शुक्ल, नगीना कुशवाहा, अनवर अंसारी, सुनील कुमार, रोहित कुमार, शोभित, त्रिपुरारी, छेदी प्रसाद , पारसनाथ शुक्ल, दूधनाथ शुक्ल, श्रीराम शुक्ल आदि श्रद्धालु उपस्थित रहे।‌
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